अपना आप दिखाई दे,जो देखूं मैं दर्पण में,मैं हूं या तुम ही हो,मन उलझा है उलझन में

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भाग- ३०(Chapter- 30 All I see is my own reflection in the mirror,is it really me or you my dear?This is the constant conflict in my heart nowadays)

बृंदा (कोमल स्वर में)-...प्रिया... देखो हम दोनों भी ज़रूरत के चलते ही मिलें हैं,बातें कर रहे हैं।....हम दोनों के बीच की डोर है...और बृंदा के कुछ बोलने से पहले ही प्रिया ने अपनी पलके झुका लीं, सांसें उस नाम के उच्चारण के स्वर मात्र के विचार से व्यथित हों उठीं और जैसे ही बृंदा ने उस नाम को अपने स्वर दिए,प्रिया ने बृंदा के हाथों पर पकड़ मजबूत कर लीं..... राम ...प्रिया की प्रतिक्रिया,जैसे बृंदा के बेआस हो चुके मन को नई सांसें दे गई....

Brinda (softly)- Priya...see,even we are meeting, chatting for some purpose/need.... The thread here is ...and before Brinda could complete, Priya downcasted her lashes,her breathing got uneven on the account of hearing his name and the moment Brinda voiced out his name,the grip over Brinda's hand got stronger by Priya...RAM ... Priya's reaction gave a new lease of life to Brinda who had lost all hopes...

बृंदा (प्रिया के कंधे पर हाथ धर)- प्रिया,जब हमें किसी इंसान की गैर मौजूदगी तकलीफ़ नहीं देती,तो बताओं किस बात का रिश्ता रहा?तुम अपने परिवार से प्यार करती हो क्योंकि तुम्हें और उन्हें दोनों को एक दूसरे के प्यार की,वक्त की ज़रूरत है... उसी तरह प्रिया,एक वक्त के बाद ये फिल्मी रोमेंस एंड ऑल,सब बैकसीट ले लेता है और तब ये ख्याल कि इस इन्सान के बिना ज़िंदगी कैसी होगी,ये बात ही हमें उस इंसान से जोड़े
रखती है।..... फ़िर एक सांस भर,प्रिया के चेहरे को ऊपर उठाकर...प्रिया,हम सब में कमियां होती हैं,क्योंकि हम कोई प्रोडक्ट नहीं हैं, टू सेटिस्फाई समवन।पर यकीन मानों राम तुम्हें बहुत खुश रखेगा...क्योंकि ऐसा ही है वो, बस कैसे दूसरों को खुश रखना है,यही चलता रहता है उसके दिमाग में.... राम ने बहुत मुश्किलें देखीं हैं,पर उसने कभी ज़िंदगी को दोष नहीं दिया बल्कि उसकी इज़्ज़त की है, कद्र की है....। राम से खफा हो जाना प्रिया,पर कभी दूर मत जाना...एक यही डर लगा रहता है उसे कि छोड़ जायेंगे एक दिन सब उसे....
और प्रिया की आंखों में बृंदा ने उन अश्रुओं की धारा देखीं, जिन्हें राम ने अनगिनत बार पी जाने की कोशिश की थीं।पर आज जैसे प्रिया की आंखों से राम के उन तमाम आंसूओं को बह ही जाना था।

छाप तिलक सब छीनी रे....Where stories live. Discover now