वो बर्फीली रात पार्ट -12

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फिर आदित्य गार्डन की तरफ लाइब्रेरी में चला गया। मैंने गहरी सांस ली, घूरते हुए क्यूट 🥰 लगते है। मैने मुस्कुराते हुए कहा,,
की तभी आदित्य फिर वापस आया और अपने रूम में चला गया।

शायद इस बार उसने नहीं सुना था क्यूंकि उसने मेरी तरफ नहीं देखा वो अपनी हाथ में बांधी घड़ी की तरफ देखता हुआ आया और लेपटॉप लेकर घड़ी की तरफ देखता हुआ चला गया।
शायद मुझे इग्नोर कर रहा था। खेर छोड़ो वो मुझे देखता ही कब है। और मै खाना खत्म कर के सोने चली गई।

मैं जब सुबह उठी तो आदित्या जा चुका था। वो हमेशा मेरे उठने से पहले ही चल जाता है, न कभी नाश्ता करता और न ही कभी मुझसे नाश्ता के लिए पूछता मैं रोज अपने और काका के लिए नाश्ता बनाती और उन्हीं के साथ नाश्ता करती वो मेरे पापा की तरह थे,

जब से काकी खत्म हुई तब से मैं काका के लिए खाना बनाती और हम साथ में खाना खाते काका मुझे पुरानी बाते बताते
हम खूब बाते करते,

और इस तरह मुझे कभी भी अकेला फिल नहीं होता था। और न ही अकेले रहने का डर रहता था, क्योंकि आदित्य कभी घर आता तो कभी नहीं, न ही आदित्य कभी घर का खाना खाता था।

मेरी कभी हिम्मत भी नहीं हुई उससे ये पूछने की उसने खाना  खाया। तो कहा खाया है,,क्योंकि उसने मुझे अभी तक ये हक दिया ही नहीं था।

मैं रोज रात का खाना बना कर टेबल पर आदित्य का इंतजार करती और वो जब आता तो बस इतना पूछती अपने खाना खा लिया क्या,

और जवाब में सिर्फ "हां " आता जबकि मैं रोज उससे न सुनने के लिए बेताब रहती, शायद आदित्य मुझे पसंद आने लगा था। क्योंकि मुझे उसका इंतजार करना पसंद था। इसलिए मैं रोज उसके लिए खाना बनाती और रोज उसका इंतजार करती जबकि मुझे पता होता कि वो नहीं खाएगा।

लेकिन फिर भी न जाने क्यू मै ऐसा करती, बस दिन में एक बार ही उसे एक झलक देख तो लू उसकी आवाज सुन लू, और जब वो आता तो धड़कन तेज हो जाती, न जाने क्यू उससे डर भी लगता था।

पर फिर भी मै उससे हिम्मत कर के पूछती अपने खाना खाया, और वो बिना मेरी तरफ देखे कहता,, हां,,

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