गहराइयाँ

358 24 17
                                    

गहराइयाँ हैं
तनहाइयाँ हैं
दिल मे हज़ारों
रुसवाईयाँ हैं

दबी बातें हैं
छुपी राते हैं
दिल मे घुली
बेचैन सांसे हैं

बेमानिया हैं
हैरानियाँ हैं
समेटी हुई
परेशानियां हैं

और थोड़ा

सुकूँ भी है
जुनूं भी है
खुद ही से
गुफ्तगू भी है

समेटे हुए

लम्हे भी है
लतीफे भी है
बिछड़ी हुई
यादें भी हैं

ज़िक्र है
ज़ख्म है
सहमे सुलझे से
बस हम हैं।

गहराइयाँजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें