रात मुकम्मल हो गई है हमारी आज
तुमसे फिर मिल तो लिए
अब जरा चैन की नींद से सोने का
एहसास क्या होता है देखेंगेकुछ सोचेंगे कुछ सपनो में
तुम्हे जिये जाएंगे
कुछ बातों में तुमको दोहराएंगे
कुछ सोच के तुम्हे भूल जाएंगेतुमसे मिलने की फिर आस बनाएंगे
और फिर शायद कयास लगाएंगे
तुम काश के दो होते
हम साथ शायद फिर होतेतुम काश के वो होते
जिसके साथ हम खुद को न खोते
तुम गर हमसफर होते
हम हम और तुम तुम पर साथ होते।