मेरी ख़ामोशी में छिपे वो अनकहे अल्फ़ाज़

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दिल की खालिस चेहरे पे झलकती नही
इस मुस्कान के पीछे की रंजिस किसी को दिखती नही
दुनिया से क्या गिला करे जो अपनो ने समझा नही
तेरे  वक़्त के सागर में इक्क डुबकी ही तो चाही थी,वो मिली  नही
तेरा ज़रा सा प्यार जो मिलता कोई आरज़ू फिर रहती नही
तन्हा तन्हा से रह गए हैं,लौ बस बुझने को है
बस बुझने को है....

💝riti

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