अनकहे अल्फ़ाज़

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जब भूलना चाहू तुझे
यादों की बर्क़ गिरती है
तुझे क्या पता
ये धड़कने रुक -रुक कर कैसे चलती है

ख्वाहिशें अब आज़ाद नही
तेरी हसी से बढ़कर कोई साज़ नही

यूँ तो खताओं से परहेज़ है
इश्क़ में फ़िर भी दिल रंगरेज़ है

--riti

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