पत्थरों में कुछ तो तलाश रहे हो
कुछ न कुछ तो ज़रूर खोया हैइस रास्ते के मुबारक मुसाफ़िर हो
अंगिनतो ने इश्क़-ए-फितूर खोया हैउनकी मुस्कान से बहुत स्नेह है
बचपना शायद हो मज़बूर खोया हैसच्च सामने होकर भी छिपता रहा
बहुत कुछ इश्क़ में मग़रूर खोया हैसब कहते है तुमने नूर खोया है
हम कहते है उन्होंने कोहिनूर खोया हैLike,comment and share
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अनकहे अल्फ़ाज़
PoésieHave you ever felt that anxiousness whlie trying to sleep? A constant buzzing in your ears.,mind whispering ? conspiring for a future! An alternate reality where u were brave , brave enough to give words to your thoughts, while you keep tossing and...