किस काम के हैं
यादों की यह पेटी
संजोई है जिसमें
बातें कई छोटी-छोटी।
वक़्त-बेवक़्त बस आ जाती हैं ये
और दे जाती है आँखों में
नमी की मोती,
कभी हँसती, कभी रोती।
हैं ये स्मृतियाँ
कुछ अपनी, कुछ रूठी
कुछ बनी, कुछ टूटी
पर हैं ये स्मृतियाँ,
महत्वपूर्ण पर साथ ही कभी
अर्थहीन-सी प्रतीत होती।
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काव्यांश (KAAVYANSH) BY VRINDA
PoetryA collection of Hindi Poetries by Vrinda Mishra
यादों की पोटली
किस काम के हैं
यादों की यह पेटी
संजोई है जिसमें
बातें कई छोटी-छोटी।
वक़्त-बेवक़्त बस आ जाती हैं ये
और दे जाती है आँखों में
नमी की मोती,
कभी हँसती, कभी रोती।
हैं ये स्मृतियाँ
कुछ अपनी, कुछ रूठी
कुछ बनी, कुछ टूटी
पर हैं ये स्मृतियाँ,
महत्वपूर्ण पर साथ ही कभी
अर्थहीन-सी प्रतीत होती।