माँग

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फ़लक समेटे है न जाने कितने सितारे ,
कल एक माँगा तो फ़लक नाराज़ हो गया ।

हुआ सो हुआ नाराज़ सही,
पर ये क्या के तमाम सितारे काले अंबर की चादर
से ढक गया ।

ज़मी पे भी तो हमें एक चीज़ प्यारी है
सोचता हूँ ज़मी से कैसे कहूँ ।
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अल्फ़ाज़ (शब्द) Alfaazजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें