वो हम से रुठा था कभी वो एक अल्फ़ाज़ था,
अब मनाए उसे कैसे वो एक अल्फ़ाज़ नहीं ।वो तोड़ गया सब बन्धन वो एक अल्फ़ाज़ था,
अब जोड़े नया रिश्ता वो एक अल्फ़ाज़ नहीं।
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अल्फ़ाज़ (शब्द) Alfaaz
Poetryये कविताएँ मैंने अपने कालेज के दौरान लिखीं थीं । कुछ पूरी और कुछ आधी अधूरी सी मेरी नज़्में , जिन्हें मैं अक्सर अकेले में आज भी गुनगुनाया करता हूँ। उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आयें.. *अल्फ़ाज़ copyrights © by Raju Singh Read full book https://www.am...
अल्फ़ाज़
वो हम से रुठा था कभी वो एक अल्फ़ाज़ था,
अब मनाए उसे कैसे वो एक अल्फ़ाज़ नहीं ।वो तोड़ गया सब बन्धन वो एक अल्फ़ाज़ था,
अब जोड़े नया रिश्ता वो एक अल्फ़ाज़ नहीं।