कोई हम से महान नहीं न कोई हम से तुच्च
हम तो सिर्फ़ एक मुस्कुराहट के क़ायल हैं
कभी दिल खोलके तो हँसो साहेब
क़सम ये ज़िन्दगी आपकी हँसी पे निछावर है ।
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अल्फ़ाज़ (शब्द) Alfaaz
Poetryये कविताएँ मैंने अपने कालेज के दौरान लिखीं थीं । कुछ पूरी और कुछ आधी अधूरी सी मेरी नज़्में , जिन्हें मैं अक्सर अकेले में आज भी गुनगुनाया करता हूँ। उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आयें.. *अल्फ़ाज़ copyrights © by Raju Singh Read full book https://www.am...
दिल हे तुम्हारा
कोई हम से महान नहीं न कोई हम से तुच्च
हम तो सिर्फ़ एक मुस्कुराहट के क़ायल हैं
कभी दिल खोलके तो हँसो साहेब
क़सम ये ज़िन्दगी आपकी हँसी पे निछावर है ।