गली के उस कोने में उखड़ा सा वो मकान किसका है ?
न देखीं कोई हलचल कभी
अब वहाँ बिराने में,
आज अचानक लगा अंबार किसका है?सुना है कोई आया है नई चादर लिये ,
वो पुरानी सी आँचल से लिपटा पुराना मज़ार किसका है ?रह रह के आ रहीं क़ोई फ़रियाद सी लगती है
ज़रा पुछो तो सही आख़िर वो बीमार किसका है?
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अल्फ़ाज़ (शब्द) Alfaaz
Poesíaये कविताएँ मैंने अपने कालेज के दौरान लिखीं थीं । कुछ पूरी और कुछ आधी अधूरी सी मेरी नज़्में , जिन्हें मैं अक्सर अकेले में आज भी गुनगुनाया करता हूँ। उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आयें.. *अल्फ़ाज़ copyrights © by Raju Singh Read full book https://www.am...