सुबह होगी

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सुबह होगी
एक दिन सुबह‌ होगी
जब सुबह होगी तो उजाला होगा
जब सुबह होगी तब सूरज की किरणें जगमगा उठेगी
जब सुबह होगी तब शीतल हवा बहने लगेगी
जब सुबह होगी‌ तब आकाश फूल बरसाएगा
जब सुबह होगी‌ तब पेड़ के पत्ते सनसन करके ताली बजाएंगे
जब सुबह होगी‌ तब घांस की ओस सर झुका कर अभिवादन करेगी
जब सुबह होगी‌ तब मिट्टी की खुशबू लहराएगी
जब सुबह होगी‌ तब‌ खुशी की लहरें गोते खाएंगी
जब सुबह होगी‌ तब बादल घड़घडा़ कर शुभकामनाएं देंगे
जब सुबह होगी‌ तब चिड़िया चहकेगी
जब सुबह होगी‌ तब जि़ंदगी‌ महकेगी
पर यह मत समझना की सुबह नहीं होगी
सुबह तो होगी
सुबह तो होगी
एक दिन सुबह होगी
एक दिन सुबह होगी
सुबह होगी
जब सुबह होगी तब सुबह ही सुबह होगी
सुबह ज़रूर होगी
सुबह ज़रूर होगी
सुबह होगी




This poetry also has a positive approach towards the present situation where everywhere we have darkness. This darkness will one day turn into brightness . We all will one day be happy and will be back to our normal life.
Just we have to be a bit positive......

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