एक दिन और, एक क़दम और,
बस, कुछ देर
क्या बीतती है उस पर
जो जीवन के उस पार
बस, चल पड़ता है
छोड़ सारे रिश्ते
सारे खेल - खिलौने,
अच्छा नहीं किया उसने
सोचा नहीं, क्या होगा
उसके मां- बाप, भाई - बहन,
जीवन साथी, बच्चों का, दोस्तों का
आसान तरीका अपनाया
छोड़ सारे काम, चल दिया
हमेशा को सोने।सोचा होगा उसने भी
किससे कहूं, क्या समझेगा कोई
कौन है, इस व्यस्त जीवन के
भाग - दौड़ में रुक
जो सुने मेरा आत्रनाद
मेरा हाहाकार,
तुम! जो आज
उंगली उठा रहे हो
उसके निर्णय को
गलत ठहरा रहे हो
सहज नहीं है जीवन
किसी के लिए
सत्य है, पर कितनी बार
उसकी चुपकी का
मुस्कुराहट क नीचे
दबे उसके दर्द की
परछाईं को देख रूके,
तुम साथी थे ना
सहचर, भाई - बंधु, सखा?
सोचा होगा उसने
तुम्हारी व्यस्तता के
बारे में भी
जब उस पलटी कुर्सी
और पंखे क बीच
झूल रहा था
क्या कोई याद करेगा
मुझे, मेरी मृत्यु के बाद भी??

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कुछ कविताऐं, कुछ नज़्म (Kuch Kavitaayein,Kuch Nazm)
Poetryमेरी कुछ रचनाएँ आप सब के लिए। उम्मीद करती हूँ आपको पसंद आएँगी। मुझे comments ज़रूर भेजें, ताकि मुझे पता चलता रहे कि आप को मेरी रचनाएँ कैसी लग रहीं हैं। :)