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#PoemForMaa

बुरी है माँ तू, बहुत बुरी,
बताया नही, कभी जानने नही दिया,
कि नारी होना आसान नही,
पर माँ होना मुश्किल है और भी,

एहसास न होने दिया, माँ,
कि दुःख-दर्द पराए हो जाते हैं,
मुस्कुराना पड़ता है एक माँ को,
आंसू भर आंखों में हँसती रही फिर भी,

सपने अपने, खुशियाँ अपनी,
माँ, न्योछावर करना पड़ता है,
काँटे कितने हों बिखरे राहों में,
गोदी में उठा हमें, चलती रही फिर भी,

तेरी ही लहू में सने, तेरा जिस्म चीर,
प्राण संचारित किया तू ने हम में,
कहा कितनी बार कितना कुछ तुझे,
स्वाभिमाणिनी तू माँ, करती रही प्रेम फिर भी,

बुरी है माँ तू, बहुत बुरी।

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