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उस तिमिर आकाश को देखो,

जहाँ नहीं है कोई तारा ,

कालापन जहाँ है गहरा,

वह ही रिक्त स्थान है मेरा।

उस उजले दिए के नीचे,

कालिमा जहाँ भरी पड़ी है,

वहां रहा है सदा अँधेरा,

वह काला साया है मेरा।

किसी घने जंगल के बीच,

देखोगे एक वृक्ष है ठूंठा,

न लिपटी बेल, न गाती चिड़िया,

वह ही सूखा पेड़ है मेरा।

उन रंग-बिरंगे फूलों में ,

पाओगे तुम कली इक गुम-सुम ,

न रंग, सुगंध न कोई,

वह मुरझाया मन है मेरा।

संग हवा के हैं बहतीं,

धुन कई अनसुनी-अनजानी,

उन में इक सुर बेताला,

सुर वह जीवन का है मेरा।

हे क्षणिक सखा, पथिक सुनो,

न प्रेम भरो मेरे मन में,

मुझे दुःख है सुख से भी प्यारा,

बस विरह चिर- साथी मेरा।।

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