मैं खिला हूं राख में, मैं खिला हूं आग में
मैं क्षत्रियों का अंश हूं, मिटा दूंगा हर दाग मैंलावा बनकर मैं बरसूंगा, मैं तांडव कर जाऊंगा
सौगंध ली इस मिट्टी की, इस देश पर मर जाऊंगा
फिर लहू गिरे या अश्रु बहे, या फिर हाहाकार मचे
देश मेरा सर्वोच्च रहे, मैं ऐसा कुछ कर जाऊंगातुम आग मुझे तब ही देना, जब सीने में भी हो वही
फिर ये बात मेरी सदियों चले, भारत अमर रहे यूंही~TallGuy
आप पढ़ रहे हैं
स्पर्श
PoetryA collection of my hindi poems, ek koshish hai apne dil ki baat kehne ki. It is going to be a mix of Hindi, English and Urdu words and I just want to be true to myself with this, idea is not to impress anyone else.