2 साल बाद,
"शहजादे शिहाब अल्दीन मुहम्मद खुर्रम, वल्द बादशाह जहांगीर क्या आपको शहजादी कंदहारी वल्द मरहूम सुलतान मुज्जफर हुसैन मिर्जा से निकाह कुबूल है?" मौलवी साहब ने पूछा
"कुबूल है।" शहजादे खुर्रम बोले
"शहजादी कंदहारी वल्द मरहूम सुलतान मुज्जफर हुसैन मिर्जा क्या आपको शहजादे शिहाब अल्दिन मुहम्मद खुर्रम वल्द बादशाह जहांगीर से निकाह कुबूल है?" मौलवी साहब ने पूछा
"कुबूल है।" कंदहरी बानो बोलीं
"क्या आपको यह निकाह कुबूल है?" मौलवी साहब ने पूछा
"कुबूल है।" कंदहारी बानो बोलीं
"क्या आपको यह निकाह कुबूल है?" मौलवी साहब ने पूछा
"कुबूल है।" कंदहारी बानो बोलीं
"मुबारक हो, अब आपको दोनो मियां बीवी हैं। अल्लाह आप दोनों को अपनी अज़ीम बरकतों से नवाजें, आमीन।" मौलवी साहब बोले
"सुभानल्लाह, सुभानल्लाह।" सब बोले
"मुबारक हो, भाई खुर्रम।" शहजादे परविज मिर्जा बोले
परविज मिर्ज़ा बादशाह जहांगीर की दूसरी बीवी साहिब जमाल की औलाद है। शहजादे पार्विज मिर्ज़ा और शहजादे खुर्रम के बीच सिर्फ 3 साल का अंतर था।
निकाह के बाद,
"जहांपनाह, हमको आपसे कुछ बात करनी है।" जगत गोसाईं बोलीं
"जी बोलिए, जगत।" बादशाह जहांगीर बोले
"अकेले में।" जगत गोसाईं बोलीं।
"तकलिया।" बादशाह जहांगीर बोले
सारे जन जो उस वक्त कमरे में थे चले गए।
"जी, अब बोलिए।" बादशाह जहांगीर बोले
"बादशाह, हमने आपसे 2 साल तक यह बात छुपाके रखी थी और आज हम आपको बताना चाहते हैं।" जगत गोसाईं बोलीं
"जी बोलिए न, आप तो रोमांच पैदा कर रही हैं।" बादशाह बोले और हंसने लगे
जगत गोसाईं भी मुस्कुराई।
"बादशाह... वो... शहजादे खुर्रम को किसी और से मुहब्बत है।" जगत गोसाईं बोलीं
"कौन? कौन है वो?" बादशाह जहांगीर ने पूछा
"वजीर ए आला, मिर्जा घीयस बेग की पोती, अर्जुमंद बानो से।" जोआगत गोसाईं बोलीं
"अर्जुमंद से?" बादशाह जहांगीर ने पूछा
"जी, हमारी दरख्वास्त है, आप उनको अलग न करिएगा। शहजादे खुर्रम इस गम को भुला नहीं पाएंगे।" जगत गोसाईं बोलीं
"नहीं, हम उनको अलग नहीं करेंगे। एक वही बेटा तो है हमारा जो प्यार का असली मतलब समझता है। हम उनका भी निकाह करा देंगे, लेकिन अभी नहीं, कुछ सालों बाद। आपको पता है की मान बाई के साथ क्या हुआ था जब हमने एक साल के अंदर ही आपसे और साहिब जमाल से निकाह कर लिया था।
"जी, वो तो बिल्कुल पागल सी हो गईं थीं।" जगत गोसाईं बोलीं
"जी... हम आपसे वादा करते हैं, हम शहजादे खुर्रम का दिल नहीं तोड़ेंगे।" बादशाह जहांगीर ने कहा
जगत गोसाईं ने बादशाह को गले लगा लिया।
"शजादे शहरयार के क्या हाल हैं? वो तो हमको निकाह में नहीं दिखे।" बादशाह जहांगीर ने पूछा
"वो नही आए। उसने मना कर दिया था।" जगत गोसाईं बोलीं
"क्यों?" बादशाह ने पूछा
"बादशाह, छोटे शहजादे शहरयार को अपने अब्बू का प्यार चाहिए। हमारी आपसे यह भी दरख्वास्त है की..." जगत गोसाईं बोलतीं लेकिन बादशाह ने रोक दिया।
"हम समझ गए, जगत।" बादशाह बोले
"जी शहंशाह।" जगत गोसाईं बोलीं और चली गईं।
और उसी वक्त नूर जहां कमरे में आती हैं।
"तो क्या बोल रही थी, जगत गोसाईं?" नूर जहां ने पूछा
"कुछ नहीं। एक बात बोलने आईं थीं, उन्होंने बताई और चली गईं।" बादशाह बोले
"आजकल आप उनके और साहिब के कुछ ज्यादा ही करीब जा रहे हैं।" नूर जहां बोलीं
"आखिरकार वो भी हमारी बीवियां ही हैं।" बादशाह जहांगीर बोले
"फिर भी इतने करीब?" नूर जहां ने पूछा
"क्यों? आपको कोई ऐतराज?" बादशाह ने पूछा
"नहीं।" नूर जहां बोलीं
"आपको जलन हो रही है?" बादशाह ने पूछा
"हमें क्यों जलन होगी?" नूर जहां ने पूछा
"आपकी शक्ल सब कुछ कह रही है, मेहर।" बादशाह जहांगीर बोले
"आप कुछ भी सोचते हैं।" नूर जहां बोलीं और चली गईं।
"नूर जहां के अंदर घमंड आ रहा है। हमने उनको फैसला लेने की ताक़त देकर गलती कर दी है।" बादशाह जहांगीर मन में बोले।
आप पढ़ रहे हैं
Taj Mahal: दास्तान ए इश्क़
Historical Fictionयह कहानी ताज महल के निर्माण और उसके पीछे की कहानी के ऊपर आधारित है। इस कहानी का उद्देश्य किसकी भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।