परिचय

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27अक्टूबर 1607, हिंदुस्तान के महान बादशाह अकबर की एक बीमारी से अकस्मात मौत हो गई।
कुछ पल पहले,
"बादशाह सलामत, बताइए आप किसे इस तख्त का असली वारिस बनाया चाहते हैं?" घियास बेग ने पूछा
"शाह..." अकबर बोले
"जी बादशाह।" घियास बेग बोले
बादशाह ने इशारे से घियस बेग को अपने पास बुलाया और कान में तख्त के असली वारिस का नाम बताया।
"क्या बोले दादाजान?" शहजादे खुसराऊ ने पूछा
"तख्त के असली वारिस..." घियास बेग बोले
और उन्होंने बादशाह हुमायूं की शमशिर शहजादे सलीम की थमा दी।
"नही! यह नहीं हो सकता! दादाजान ऐसा नहीं कर सकते!" शाह खुसराऊ चिल्लाए
"खुसराऊ, शांत हो जाओ। यह वक्त नहीं है चिल्लाने का।" मान सिंह जी बोले
शाह खुसराऊ कमरे से बाहर चले गए। मान सिंह जी भी उनके पीछे गए।
"खुसराऊ! यह क्या बदतमीजी है!" मान सिंह जी चिल्लाए
"दादाजान उस जाहिल इंसान को बादशाह नही बना सकते है।" शाह खुसराऊ बोले
"भूलो मत जिसे तुक जाहिल बोल रहे हो वो तुम्हारे अब्बू होने के साथ-साथ अब बादशाह भी हैं।" मान सिंह जी बोले
"वो मेरे अब्बू नही हैं। जिन्होंने दादाजान से और इस सल्तनत से गद्दारी करी है वो एक बादशाह नही हो सकता। मामूजान, आप भी हमारे साथ आएं।" शाह खुसराऊ बोले
"हमने कसम खाई है खुसराऊ। जो भी बादशाह होगा हम उसके ही वफादार बनेंगे।" मान सिंह जी बोले
शाह खुसराऊ वहां से चले गए।
शाह खुर्रम रो रहे हैं।
"खुर्रम, मेरे बच्चे। मत रो।" बादशाह सलीम (जहांगीर) बोले
"अब्बू, हमने पहली बार अपने किसी अज़ीज़ को खोया है। वो हमारे दादाजान होने के साथ, हमारे एक अच्छे शिक्षक भी थे।" शाह खुर्रम बोले
"हम समझ सकते हैं, खुर्रम।" बादशाह सलीम बोले
"हिलने तो अपने दादाजान खोए हैं। आपने तो अपने अब्बू खोए है।" शाह खुर्रम बोले
"हमने तो सिर्फ एक बादशाह को खोया है, खुर्रम... अब्बू की तो सालों पहले ही को चुके थे।" बादशाह सलीम बोले
कुछ दिन बाद,
"अर्जुमंद, आपने हमें याद किया?" शाह खुर्रम बोले
"जी, शाह खुर्रम। यह जगह हमारे लिए सुरक्षित नहीं है।" अर्जुमंद बोली
"क्यों क्या हुआ?" शाह खुर्रम ने पूछा
"बादशाह अकबर ने बादशाह जहांगीर की तख्त का असली वारिस नही बनाया था।" अर्जुमंद बोली
"लेकिन यह तो खुद आपके दादाजान ने बोला था न।" शाह खुर्रम बोले
"मैं खुद अपने कानों से सुनके आई हूं। दादाजान फुफीजान को बता रहे थे।" अर्जुमंद बोली
"तो फिर किसे बनाया था?" शाह खुर्रम ने पूछा
"हमको यहां से निकलना होगा।" अर्जुमंद बोली
और वो दोनो वहां से चले गए। उस वक्त शाह खुर्रम 15 साल के और अर्जुमंद 14 साल की थीं।
अगले दिन,
"मेहर, अर्जुमंद और शाह खुर्रम का कोई पता नहीं चल रहा है। दोनो बच्चे कहां गए?" आसफ खान ने पूछा
"भाईजान, पहली बात हम अब मेहर नहीं नूर जहां हैं और दूसरी बात हुक अब मलिका ए हिंदुस्तान हैं।" नूर जहां बोली
"मलिका ए हिंदुस्तान.." आसफ खान बोल रहे थे पर नूर जहां ने रोक दिया
"दोनो बच्चों को ढूंढने के लिए हमने एक आदमी बुलाया है।" नूर जहां बोलीं
"मेहर, तुमने अर्जुमंद का इस्तेमाल करके शाह खुर्रम की बोतल में उतार कर गलती करी है। वो भी बहुत बड़ी। तुमने ऐसा क्यों किया?" आसफ खान ने पूछा
"मलिका ए हिंदुस्तान।" नूर जहां बोली
"यह एक भाई अपनी बहन से बात कर रहा है।" आसफ खान बोले
"यह सब हमने अर्जुमंद के अच्छे भविष्य के लिए किया था। क्योंकि उस समय हमें लगा था की खुर्रम ही बादशाह बनेगा।" नूर जहां बोली
"तुमने यह बहुत गलत किया है, मेहर।" आसफ खान बोली
"ध्यान रहे आप किससे बात का रहे हैं, वजीर ए आला।" नूर जहां बोलीं
"मलिका ए हिंदुस्तान, आपने हमें याद किया?" एक आदमी आया
"जी हां। यह लीजिए और उन दोनो बच्चों की ढूंढके लाइए।" नूर जहां ने उस आदमी को खंजर देते हुए कहा।
"मेहर, यह तुम क्या कर रही हो?" घियास बेग ने पूछा
"जो भी सलीम के लिए सही होगा, हम वही करेंगे, अब्बू।" नूर जहां बोलीं
"तुम बिलकुल गलत कर रही हो यह, मेहर।" घियास बेग बोले
"गुस्ताखी माफ अब्बू, लेकिन याद रहे आप मलिका ए हिंदुस्तान से बात कर रहे हैं।" नूर जहां बोलीं

घियास बेग को एक झटका सा लग गया।

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