11 महीने बाद,
सब शहजादे खुर्रम और कंदहारी बेगम के निकाह की पहली सालगिरह की तैयारी कर रहे थे।
"अरे सब खैरियत तो चल रहा है न? हमारे अज़ीज़ बेटे के निकाह की पहली सालगिरह है।" बादशाह जहांगीर ने पूछा
"जी बादशाह सलामत। सब बिलकुल सही चल रहा है।" सजावट करने वाला बोला
"बढ़िया है, बढ़िया है। वैसे किसी ने शहजादे खुर्रम को देखा है? वो दिखाई नही दिए इतनी देर से।" बादशाह जहांगीर ने पूछा
"वो यहीं कहीं होंगे बादशाह सलामत, आप क्यों तकलीफ़ कर रहे हैं?" नूर जहां ने पूछा
"नहीं ऐसे ही पूछ लिया।" बादशाह जहांगीर बोले
"आपने कुछ सोचा है?" नूर जहां ने पूछा
"किस बारे में?" बादशाह जहांगीर ने पूछा
"आरजू और खुर्रम के निकाह के बारे में।" नूर जहां ने कहा
"हां, हमने सोच लिया है। अभी कुछ वक्त और गुजारना चाहिए खुर्रम को कंदहारी के साथ। शायद अगले साल या अगले से अगले साल उनके निकाह की घोषणा कर देंगे हम।" बादशाह जहांगीर बोले
"जी, ठीक है।" नूर जहां बोलीं
एक कनीज़ भागती हुई आई।
"क्या हुआ? तुम ऐसे भागती हुई क्यों आई हो?" नूर जहां ने पूछा
"वो कंदहारी बेगम बेहोश होकर गिर गईं थीं। उनको हाकिम साहिबा देख रही हैं।" कनीज़ बोली
"आपको जाकर देखना चाहिए, नूर जहां।" बादशाह जहांगीर बोले
"जी बादशाह।" नूर जहां बोलीं
"बादशाह!" जगत गोसाईं आईं
"क्या हुआ जगत?" बादशाह जहांगीर ने पूछा
"कंदहारी मां बनने वाली हैं।" जगत गोसाईं बोलीं
"क्या? सच्ची?" बादशाह ने खुश होते हुए पूछा
"जी हां।" जगत गोसाईं ने खुशी-खुशी बोला।
"वो हाकिम साहिबा कहां हैं?" बादशाह ने पूछा
"वो आ रही हैं।" जगत गोसाईं बोलीं
हाकिम साहिबा आती हैं।
"यह लीजिए, हाकिम साहिबा... आपने हमको बहुत बड़ी खुशखबरी दी है।" बादशाह ने मोतियों की माला देते हुए कहा
"शुक्रिया, जहांपनाह।" हाकिम साहिबा बोलीं और चली गईं।
दूसरी ओर शहजादे खुर्रम अर्जुमंद के साथ बगीचे में बातें कर रहे थे, तभी शहजादे परवेज भागते हुए आए।
"खुर्रम! खुर्रम!" शहजादे परवेज आए
"क्या हुआ भाईजान? आप ऐसे भागते हुए क्यों आए? सब खैरियत?" शहजादे खुर्रम ने पूछा
"बहुत ज्यादा खैरियत है मेरे भाई। हरम से ख़बर आई है की..." शहजादे परवेज बोले
"की?" शहजादे खुर्रम और अर्जुमंद ने पूछा
"की तुम बाप बनने वाले हो।" शहजादे परवेज ने खुशी खुशी कहा
"क्या?" शहजादे खुर्रम ने आश्चर्य से पूछा।
"सच्ची में?" अर्जुमंद ने खुशी खुशी पूछा।
"हां अर्जुमंद, सच्ची में।" शहजादे परवेज बोले
"आप परेशान नहीं है?" शहजादे खुर्रम ने पूछा
"हम क्यों परेशान होंगे? आखिर हमारे सबसे अच्छे दोस्त अब बाप जो बनने वाले हैं।" अर्जुमंद बोलीं
"अब आपको कोई परेशानी नहीं है तो हमको भी कोई परेशानी नहीं है।" शहजादे खुर्रम ने कहा
9 महीने बाद,
11 अगस्त 1611,
(कंदहारी बेगम दर्द से करहाते हुए)
"शांत हो जाओ, कंदहारी। सब ठीक हो जायेगा।" जगत गोसाईं बोलीं
"हां कंदहारी, शांत हो जाओ। सब ठीक हो जायेगा।" नूर जहां बोलीं
कंदहारी बेगम चीखती हैं।
(बच्चे के रोने की आवाज)
"मुबारक हो बादशाह जहांगीर और शहजादे खुर्रम, आपके बेटी हुई है।" हाकिम साहिबा ने बच्ची को शहजादे खुर्रम के हाथों में देते हुए कहा।
"मेरी बेटी..." शहजादे खुर्रम बोले
"मेरी प्यारी सी पोती। इसका नाम परहेज बानो होगा।" बादशाह जहांगीर बोले
"बादशाह ने इसका नाम परहेज बानो बेगम रखा है।" नूर जहां बोलीं
"हमारी प्यारी परहेज बानो।" कंदहारी बोलीं
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Taj Mahal: दास्तान ए इश्क़
Historical Fictionयह कहानी ताज महल के निर्माण और उसके पीछे की कहानी के ऊपर आधारित है। इस कहानी का उद्देश्य किसकी भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।