तोड़ कर सपनों को अपाहिज कर देती है, हकीकत
जिंदा को भी लाश कर देती है,हकीकत
यादें भी धुआं हो जाती है, हकीकत जब सामने आए,
अपने आप से भी नफरत करा देती है, हकीकत
ज़िंदगी जीना भी मुहाल कर देती है।
जब एक उम्मीद को भी आश कर देती है, हकीकत
ख्यालों को ख्वाबों में ही पलने देती है,
जब एक आश को जकड़ कर कैद कर लेती है, हकीकत
न उड़ने देती है, न बहने देती है,
जब एक छोटी सी चीज को ख्वाब कर देती है, हकीकत
सुख जाते हैं, आंख के आंसु भी,,
जब लबों का मुस्कुराना भी मुहाल कर देती है, हकीकत
न जीने देती है, न मरने देती है, जब अपने आप में एक तलाश होती है, हकीकत
तोड़ कर सपनों को जब जीना मुहाल कर देती है।
तो नींद को भी मौत कर देती है, हकीकतWritten by Tulsi
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अनकहे लफ्ज़,,,,,,,
Poetryअनकहे लफ्ज़ जो एहसासों से भरें है। कुछ जुड़े, कुछ टूटे बिखरे पड़े हैं। कुछ अपने है, कुछ तुम्हारे वो अल्फाज़ जो आंशुओ में भरे हैं। ना किसी ने सुने न किसी ने कहे हैं। अनकहे से लफ्ज़,,,,,,,,,,,,