मैं संगीत हूँ। यह मेरा क्रोसड्रेसर नाम है। यह स्टोरी एक सम्पूर्ण काल्पनिक है और स्वरचित भी है।
मैं और पीयूष बचपन से ही दोस्त थे। पश्चिम बंगाल के एक छोटे शहर खरगपुर में रहते थे। हम दोनों एक ही स्कूल में पड़ते थे। स्कूल का नाम साउथ ईस्टर्न रेलवे बॉयज हाई सेकेंडरी स्कूल था। हमारी दोस्ती दूसरे सब से अलग और गेहरी ही थे। मैं बचपन से ही थोड़ा नाजुक और शर्मीली टाइप की लड़का था। और लड़कियों की तरह गोरी चिकनी भी था। स्कूल में लड़के मुझे लड़की कहके चिराते भी थे। कभी कभी वे मेरे नरम सरीर पर हाथ भी मारते थे। पर पीयूष एक मर्दानी हट्टे गट्ठे टाइप का था। उस से सब डरते थे। पीयूष दिलके बहुत अच्छे भी थे। वो मुझे हमेशा दूसरे लड़को से बचाता था। वो मेरा ऐसा देखभल करता ता था जैसे एक पति अपनी पत्नी का करता है। स्कूल में बहुत लड़के दोनो को मिया-बीवी करके पुकारते भी थे।
एसे ही हमारा बचपन गुजरता गया। पीयूष की मन की बात पता नही, पर जैसे ही हम दोनो जवान होते गये मेरे मन मे पीयूष की तरफ धीरे धीरे एक अलग सा फीलिंग आने लगी । लेकिन समझ मे नही आ रहा था ये क्या है। इस चाहत को चुपाके मैं आगे की ज़िंदगी जीता रहा। पीयुष से कभी बोलने का हिम्मत नही हुई। उसकी जवानी और मर्दानगी मुझे लुभाने लग रहा। जब वो मुझे टच करता था मेरे दिल मे हलचल सी होति थी। कभी कभी लगता था पीयुष मेरी पूरी बदन को टच करे। मेरी सरीर का हर एक अंग को देखे, सहलाये। मुझे ऐसा भी अनुभूति होती थी के काश मैं कोई लड़की होती और उसकी गर्ल फ्रेंड बनती तो भट। पर ये सब मेरी सोच थी, जो कभी वास्तब नही होना था। पीयुष इस बारे में कभी भी ज़िक्र नही किया के वो मुझको लेकर क्या सोचता है। तो ज़िंदगी ऐसे ही गुज़रती गई, बिना कोई बदलाव।प्रिय पाठकों,
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Romanceये एक लड़का से कैसे एक कर्सड्रेसर बनने का और अपनी बचपन की दोस्त की ही बीवी बनने की काल्पनिक किस्सा है। ये कहानी एक समकामी और रूपांतरकामी लोगो की लिये ही रचाया गया है। जो लोग इस समंध को पसंद नही करते वे ये स्टोरी मत पड़े। मैं वास्तव में एक रियल क्रोसड्...