मेरा हार्मोन थेरापी

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अगले दिन मैंने बुआ को बताया ये सब। बुआ सुनके खुस भी हुई और दुबिधा में भी आ गई। मैने समझाया तो आखिरकार मान ही लिए। फिर बुआ ने कहि पीयूष से भी रजामंदी लेले। पर मैं न राजी था, किउके मुझे लग रहा था वो नही मानेगा। इस लिए पीयुष को फिलाल न कहने का निर्णय लिया और सारि बाते बुआ और मेरी बीच मे ही रखी गई।
मैने प्रेस्क्रिब्सन के हिसाब से दवाई लेना चालू कर दिया। डक्टर ने कहा था 2-3 दिनों से थोड़ा थोड़ा दूध बनेगा और ये दूध मैं बच्चे को पिला भी सकता हूँ। पर मेरा अगले ही दिन से बून्द बून्द निकलने लगा। मैने बुआ को दिखाया तो उन्हें भी यकीन नही आ रही थी। बुआ ने कहा चलो मनु को पीलाने की ट्राई करते है। फिर मैंने मनु को गोद मे लिया। मेरी शर्ट की ऊपर की बटन निकल के बाये तरफ की निप्पल को मनु के मुह में देने का कोशिस की। पर वो नही ले पा रहा था। फिर बुआ आई और बताई के निप्पल को हाथ से दबाके ऊँचा कर फिर मुह में डालो। फिर उसी तरह मैने ट्राई की और सफल हुआ। मनु मेरा निप्पल को चूसने का ट्राई कर रहा था। और उसे दूध भी मिल रहा था। फिर ध्यान दिया के मेरी दाहिने निप्पल से भी बून्द बून्द दूध उभर रही थी। फिर कुछ देर के बाद मैंने दूसरे तरफ मतलब दाहिने तरफ की भी दूध पिलाया। उस वक्त मेरे पूरी सीने में जैसे ममता उछल रही थी। मैं बहुत उतावला हो गया था। पर मेरा पिलाने के बाद मनु का पेट उतना नही भरा, कारण मेरा छाती में तब थोड़ा ही दूध बन रही थी। डक्टर ने कहा था सुरु सुरु में कम दूध बनेगी। जैसे ही दवाई का असर बारे गा, दूध भी ज्यादा बनेगी और छाती भी फूल जाएगी।
फिर मैं हर 4-5 घण्टे में मनु को एकबार पिलाना स्टार्ट किया।

एक लड़का से कैसे एक कर्सड्रेसिंग बीवी बनीजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें