कोलकाता में शिफ्टिंग

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उन दिनो मेरी स्तन दिन व दिन तेज़ी से बड़ रही थी। हप्ता दस दिन में ही मेरी ब्रा चेंज करनी की नौबत आति थी। मेरी बम्प भी फूल रही थी। सरीर की चिकनाई, ऊंची स्तन, चौरी नितंब लेके पूरी घर पर औरतोवाली काम करते हुए मैं तन मन से औरत ही बन गई थी। वीकेंड में पीयुष का आना जाना बड़ गया। अब तो हर वीकेंड पे वो आ जाता है। शायद मेरी उभरती जिस्म उसे भी भां रहा था।

पर बुआ का मानना ये था के मुझे मनु को लेकर कोलकाता रहना चाहिए पीयुष के पास। किउके इधर अब पडशियो से छुपाना भी मुश्किल हो रहा था। सब पूछते रहते थे के घर पर औरत कौन है। वो दूर के रिस्तेदार कहकर टाल देते थे। बुआ के शलह के मोताबिक हम कोलकाता चले आये। बु...

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पर बुआ का मानना ये था के मुझे मनु को लेकर कोलकाता रहना चाहिए पीयुष के पास। किउके इधर अब पडशियो से छुपाना भी मुश्किल हो रहा था। सब पूछते रहते थे के घर पर औरत कौन है। वो दूर के रिस्तेदार कहकर टाल देते थे। बुआ के शलह के मोताबिक हम कोलकाता चले आये। बुआ भी आ गईं थी कुछ दिन के लिए। अब मनु 4 महीने के हो गए थे। मनु अब मेरी दूध के ऊपर पूरी तरह निर्भर था। मेरी दोनो स्तन आकार मे जैसे बड़े हो गए थे ऐसे ही दूध से भरी रहती थी। हर 1-2 घण्टे में मनु को दूध पिलाने के बाबाजूत बून्द बून्द निकलके ब्रा को गीली केर देती थी। कभी कभी मुझे हाथ से निकलना भी पड़ता था। एक दिन बुआ ने मजाक से कहा इतनी दूध फेक क्यों रहा है, देख इस से पीने के लिए पीयुष भी तरस रहा होगा।
हप्ता 3-4 के बाद बुआ चली गईं। अब मै, मनु और पीयुष रहने लगे। मैं मनु को लेकर अलग कमरे में सोता था। पीयुष अकेला दूसरी बेड रूम पर सोता था। मुझे अकेला बहुत ही डर लगता था। लेकिन पीयुष को बोलनेका हिम्मत नही हुआ। एक रोज़ बहुत ही डर लग रहा था। मैं सहमी हुई थी नींद भी नई आ रहा। मनु रात को 2 बार दूध पीता है। उसे उठाकर दूध पिलाक़े टॉयलेट की तरफ जा रहा था, तब ही पीयुष कमरे से निकला। दोनो एक साथ दरवाजा खुला तो मैं चौक गया और मुह से तेज आवाज निकली। पीयुष ने फिर सम्हला। फिर मुझे यरकी आया। उस ने उसही दिन से एक साथ सोने की फैसला किया। मैं बिना बहस के मान लिए और मनु को गोदी लेके पीयुष के रूम पर आ गया। मेरी चीख से मनु का नींद टूट गया । उसको अभी सुलाने के लिए मुह में निप्पल देना पड़ेगा। पीयुष के सामने कैसे पिलाऊँ समझ मे नही आ रहा। पीयुष मेरे साथ ही मनु को सुलाने ट्राई कर रहा था। मुझे पता था बिना निप्पल डाले वो नही सोयेगा। कुछ देर बाद मनु रोने भी स्टार्ट कर दिया। उसकी रोने पर मेरी दूध भी निकल रही थी। पर पिलाने का मौका नही हो रही थी। पीयुष उसको गोदी में लेकर टहलके चुप कराने का कोशिश कर रहा था। पर वो चुप नही हो रहा। फिर मैं हिम्मत उठाई और पीयुष के पास से मनु को लेकर बिस्तर की कोने में दीवार की तरफ मुह करके बैठ गया। ब्लाउज की नीचे की दो बटन खोलके और ब्रा खिचके जैसे ही मनु के सामने निप्पल निकाला, उसने लपकके चूस लिया। और जोरसे पिने लगा। मेरी कलिजे को ठंडक मिली।

पर बुआ का मानना ये था के मुझे मनु को लेकर कोलकाता रहना चाहिए पीयुष के पास। किउके इधर अब पडशियो से छुपाना भी मुश्किल हो रहा था। सब पूछते रहते थे के घर पर औरत कौन है। वो दूर के रिस्तेदार कहकर टाल देते थे। बुआ के शलह के मोताबिक हम कोलकाता चले आये। बु...

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पीयुष समझ गया और रूम से निकलकर बालकोनी के तरफ चला गया। कुछ देर बाद वो जब आया तबतक मनु सो गया था। मैं भी अधखुला ब्लाउज पे सो गया था। पीयुष की आते ही मैन आँचल से छाती को ढक दिया। मुझे ऐसा महसूस हो रहा था के पीयुष को मेरी बड़े बड़े उथला हुआ चुचियो को देखने का बहुत शौख हो रहा था। पर मुझे क्या, कभी मांगे तो मैं दिखा दूंगी। आखिर इतनी खूबसूरत सामान किसी के पास हो तो देखनेवाला का भी जरूरत है।
अगले दिन सुबह मैं जल्दी उठ गई। नास्ता बनाके बेड रूम में आई। टेबल में चाय की कप रखते हुए झुके तो महसूस किया पीयुष की नज़र मेरे चूचयो की तरफ थी। असल मे मेरी पल्लू खिसक के क्लीवेज निकल गयी थी।

पीयुष समझ गया और रूम से निकलकर बालकोनी के तरफ चला गया। कुछ देर बाद वो जब आया तबतक मनु सो गया था। मैं भी अधखुला ब्लाउज पे सो गया था। पीयुष की आते ही मैन आँचल से छाती को ढक दिया। मुझे ऐसा महसूस हो रहा था के पीयुष को मेरी बड़े बड़े उथला हुआ चुचियो को द...

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पीयुष ने पूरी इत्मीनान से मेरी चुंच्यो को नपा। उसकी नजर से लग रहा के मेरी चुंच्यो को दबाके चूस ने का मन कर रहा होगा। खैर मैन भी देखने दिया। उसी वक्त मनु की रोने की आवाज आते ही जैसे मैंने मनु को गोदी में लेने के लिए बिस्तर में झुकी तो मेरा पल्लू पूरा गिर गई। और मेरी ब्लाउज निकल पड़ी जिसमे बड़े बड़े दो चुंच्यो बंधे हुए उछल रहे थे।

पीयुष ने पूरी इत्मीनान से मेरी चुंच्यो को नपा। उसकी नजर से लग रहा के मेरी चुंच्यो को दबाके चूस ने का मन कर रहा होगा। खैर मैन भी देखने दिया। उसी वक्त मनु की रोने की आवाज आते ही जैसे मैंने मनु को गोदी में लेने के लिए बिस्तर में झुकी तो मेरा पल्लू पू...

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मैंने साफ नोटिस किया पीयुष की लन्ड खरे हो गए थे मेरे चुंच्यो की खूबसूरती से। वो हाथ से छुपा रहा था। मुझे शरम भी आ रही थी और मज़ा भी। मैंने नज़रअंदाज़ करके पल्लू को उठाया नही। जान बूझकर दिखाती रही। फिर पीयुष कमड़े से निकल के टॉयलेट चला गया।

एक लड़का से कैसे एक कर्सड्रेसिंग बीवी बनीजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें