पीयूष की शादी

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स्कूलिंग खत्म करके जब हम कॉलेज चले गए, पीयूष से दूरिया बरती गई। कॉलेज से निकल के ही पीयूष को जॉब मिल गई और वो कोलकाता शहर चले गए। पीयूष का मा को कैंसर हुई थी। मरने से पहले अपनी बहू को देखने के लिए पीयूष का माँ ने बेटा का शादी जल्दी कराने का फैसला कर ली। शहर में उसका मामा ने एक दूर की रिस्तेदार की बेटी सोनाली के साथ पीयूष का सादी तय कर लिए। फिर एकदिन खरगपुर में पीयूष का शादी हुई सोनाली के साथ। शादी में मैं भी शामिल था। सच कहु तो उस दिन थोड़ा सा गम हुआ था जरूर। न जने मन मे ये खयाल आया के काश अगर मैं सोनाली के जगह होती। काश अगर मैं लड़की पैदा होती तो आज जरूर पीयूष मुझे ही अपनाता। पर उसदिन मेरा सपना टूट रहा था। क्यों के हकीकत में, मैं एक लड़का हु और पीयूष एक लड़की से ही सादी करेगा ये ही सच है। खैर कुछदिन बाद पीयूष नई दुल्हन को लेकर कोलकाता चला गया। शादी के कुछ हप्ते के बाद पीयूष की मा की दिहन्त हो गई। पीयूष की पिता बहुत पहले ही गुज़र गए थे। इस लिए पीयूष अब अतिम हो चुका। घर पर मतलब खरगपुर में सिर्फ उसका बिधवा बुआ रहती थी।
इसी दौरान कुछ महीने बाद जब सोनाली खरगपुर आई तो वो प्रेग्नेंट हो गई थी। पीयूष ने इस हालत में बीवी को अपनी बुआ के पास रखकर जाना सही समझ। अतः सोनाली अभी खरगपुर ही रहेगी। इस बीच मेरा आना जाना लग गया पीयूष की घर। सोनाली दिल का बहत साफ थी। हम दोनों काफी मिलजुल गए थे। वे भी मुझे अपना सौतन कहके चिराते थे। वो कहती थी पीयूष मेरा बारे में हरवक्त जिक्र करता है। उसने यह भी का अगर मैं लड़की होती तो पीयूष मुझे ही शायद सादी कर लेता। मुझे यह सब सुनके बहत शरम आता था। पर मज़ा भी लगता था। सोनाली चाहती थी बच्चे होने के बाद, जब तक सोनाली फिट नही होगी तब तक मैं ही बच्चे की देखभल करू।

एक लड़का से कैसे एक कर्सड्रेसिंग बीवी बनीजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें