इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहींOh Lord who wouldn't succumb to this simplicity
She is waging a war without even a sword in her hand.
Meaning she doesn't need a sword to win a fight (argument), she wins every fight with me just with her simplicity.Full ghazal -
दीवानगी से दोश पे ज़ुन्नार भी नहीं
या'नी हमारे जेब में इक तार भी नहींदिल को नियाज़-ए-हसरत-ए-दीदार कर चुके
देखा तो हम में ताक़त-ए-दीदार भी नहींमिलना तिरा अगर नहीं आसाँ तो सहल है
दुश्वार तो यही है कि दुश्वार भी नहींबे-इश्क़ उम्र कट नहीं सकती है और याँ
ताक़त ब-क़दर-ए-लज़्ज़त-ए-आज़ार भी नहींशोरीदगी के हाथ से है सर वबाल-ए-दोश
सहरा में ऐ ख़ुदा कोई दीवार भी नहींगुंजाइश-ए-अदावत-ए-अग़्यार यक तरफ़
याँ दिल में ज़ोफ़ से हवस-ए-यार भी नहींडर नाला-हा-ए-ज़ार से मेरे ख़ुदा को मान
आख़िर नवा-ए-मुर्ग़-ए-गिरफ़्तार भी नहींदिल में है यार की सफ़-ए-मिज़्गाँ से रू-कशी
हालाँकि ताक़त-ए-ख़लिश-ए-ख़ार भी नहींइस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहींदेखा 'असद' को ख़ल्वत-ओ-जल्वत में बार-हा
दीवाना गर नहीं है तो हुश्यार भी नहीं
STAI LEGGENDO
Mirza Ghalib
PoesiaMirza Asadullah Baig Khan, who wrote under the pen name 'Ghalib' is one of the most quotable Urdu poets whose sher or couplets relate with almost all situations of life. His words on love, loss and life continue to enlighten us and calm our soul. Hi...