१४. घने बादल

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आर्यक्षेत्र में काली घटाएं छा गयी हैं | लोग आकाश की ओर देखकर अकारण ही ग्रीष्म काल में छाए बादलों को देखकर अलग अलग प्रकार की अवधारणाएँ लगा रहे हैं | 

बीजपुर में आर्यपुत्र और अन्य सभी लोग अभी भी पूर्ववत अवस्था में ही खड़े हैं | आर्यपुत्र उसी ओर देख रहे हैं जिधर फातिमा गयी है और अंततः गहरी सांस लेकर उन्होंने सोचा "कैसे नहीं पता होगा मुझे कि तुम प्रतिज्ञा हो ?" और फिर गंभीर मुद्रा में उन्होंने अकबर और उसके साथियों की ओर देखा | 

अकबर और उसके साथी धरा पर अपने घुटनों पर गिर पड़े | अकबर ने कहा "आर्यपुत्र ! हमारी जान बचाने के लिए हम हमेशा आपके एहसानमंद रहेंगे |" 

तभी वहां पर वासुदेव आ गए और व्यंग्यपूर्ण भाव से मुस्कुराते हुए बोले "पहले अपना दंड तो सुन लो फिर देखेंगे कि तुम आभार व्यक्त करते हो कि नहीं |" और फिर आर्यपुत्र की ओर देखकर बोले "तुम इनका दंड बताओगे कि मैं बताऊँ ? याद रखना कि मैं तुम्हारी तरह दयावान नहीं हूँ |" 

आर्यपुत्र ने आकाश की ओर देखा और फिर गहरी सांस लेकर अकबर और उसके साथियों की ओर देखा और गंभीर स्वर में बोले "अकबर ! तुम्हारे स्वार्थ के कारण बहुत से लोग मरे हैं और आर्यक्षेत्र की शांति भंग हुई है | तुम्हे अभी आर्यक्षेत्र से निकाला जा रहा है और यदि तुम्हे पुनः आर्यक्षेत्र में देखा गया तो तुम्हे मृत्युदंड दिया जाएगा |" और फिर अकबर के साथियों की ओर देखकर बोले "और तुम लोग, जो अकबर के साथ जाना चाहे, जा सकता है और अपने परिवार को भी ले जा सकता है किन्तु यह जान लो कि आज के बाद आर्यक्षेत्र से तुम्हारा सम्बन्ध नहीं रहेगा और यहाँ रहने वाले लोगों से भी चाहे वे तुम्हारे सगे ही क्यों न हों | जो लोग इसके विरुद्ध जाएंगे, उन्हें भी आर्यक्षेत्र से निकाल दिया जाएगा |" और मुखिया आकिब खान की ओर देखकर आर्यपुत्र बोले "आपको इस बात का ध्यान रखना है |" 

मुखिया आकिब खान ने सहमति में सर हिलाया और बोले "अकबर को बीजपुर से निकाला जाता है और जो लोग अकबर के साथ जाना चाहें वे भी जा सकते हैं | और जो लोग अकबर के साथ नहीं जाना चाहते किन्तु आज के विद्रोह में शामिल थे, उनके अस्त्र शस्त्र ले लिए जाएंगे और आज के बाद वे एक साधारण किसान और भारवाहक का जीवन जियेंगे |" 

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