नींद

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रात के सन्नाटे में ,
घड़ी की टिक टिक और कुछ आंसुओ के साथ,
जब मेरा मन और आत्मा चुपके से सिसकते हैं,
तब एक आवाज़ सुनाई आती है,
कुछ टूटने की आवाज़, वो मेरा दिल है|

कोशिश हर रोज़ करती हूँ कि फिर जोड़ लूँ,
कुछ कच्चा पक्का जुड़ भी जाता है ,
पर फिर न टूट जाए इस फिक्र में रात यूँहीं जूज़र जाती है|

कई बार कोशिश की उसे यूऊँ ही रेहने दूं,
पर उसके भिखरे टुकड़ो पर चलने से पाऊं छील जातें है,
वो हर दिन भिखरता जाता है ,हर दिन मैं उन्हें समेत के घर ले आती हूँ, फिर एक बार उसे जोड़ने के लिए।

पर शायद अब जरूत ही नही पड़ेगी,
अब उसे हर दिन सहेजना नही पड़ेगा
ढलते सूरज के साथ,
उस टूटे, भिखरे, सुबकते हुए दिल को मेने दफना दिया
उसे मेने चेन से सुला दिया,
अब नींद अच्छी आएगी|

-वेदंगी महरौलीया

In the still of the night ,
With the ticking of the clock and some tears,
When my mind and soul secretly sob,
Then a voice is heard,
Something breakdown, that's my heart.

I try everyday, to fix it,
Some fixed some left
But I can't sleep in the fear of breaking it again.

Many times I tried to let it be,
But walking on those broken pieces, hurt my feet.
It gets scattered every day, every day I try to brink it home with me, then once again to fix it.

But perhaps it will not be necessary now,
Now I  will not have to save it every day
With the setting sun,
I have buried that broken, weeping, wounded heart
I got it free from the chains of love,
Now I can sleep peacefully.

-Vedangi Mehrolia

Words to my soulWhere stories live. Discover now