33. करु जो दुआ खुदा को

1 1 0
                                    


कि करु जो दुआ खुदा को,तुझे खुद में लिखूंगा...

दुआ में तेरी किस्मत को मैं अपनी कलम से लिखूंगा.........

पर तेरे हर दर्द को मैं अपने हिसे में लिखूंगा......

कि करु जो दुआ खुदा को,

तुझे खुद में लिखूंगा...

कि मेरे हाथों में वो बात नहीं कि तेरी हर बात लिखूंगा...

पर हर बात में तुझे खुद से ऊंचा लिखूंगा...

कि करु जो दुआ खुदा को,

तुझे खुद में लिखूंगा...

कि तू मेरी जिंदगी में नहीं तो कोई नहीं तुझे अपनी दुआ में लिखूंगा....

पर तेरी जिंदगी में खुद से बेहतर इंसान को लिखूंगा....

कि करु जो दुआ खुदा को,

तुझे खुद में लिखूंगा...

कि तेरी हर खुशी की वजह मैं खुद को लिखूंगा.......

पर तेरे हर दर्द का महरम भी खुद को लिखूंगा......

कि करु जो दुआ खुदा को,

तुझे खुद में लिखूंगा...

कि करु जो दुआ खुदा को,

तुझे खुद में लिखूंगा...

Ishaare Shabdon Keजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें