हमे अंधेरे से डर नही लगता पर चिराग बुझाने से डरते है।
दोस्ती में कभी बेवफाई नही मिली पर दोस्त बनाने से डरते है।
कहीं हम बेवफा न निकले,इस जमाने से डरते है।
अकसर वही उँगलियाँ उठाते है हम पर जिसे हमे छूने की औकात नही होती,
इसलिये इस जहां में अपनी पहचान बनाने से डरते है।यूं तो खुदगर्ज होती है दुनिया ,कहीं हम न खुदगर्ज न बन जाये हर किसी का साथ निभाने से डरते है।