Daastaan

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कहा से शुरू करू अपने मोहब्बत की दास्तां,
तब उस अजनबी से क्या था, मेरा वास्ता?

जो कभी अनजान था मुझसे,
वह आज पहचान है,मेरी
क्या लिखू उस वफा की दास्तां?

भूलने की बात क्यों किये जाती है वह,
हम अब तेरे लायक नही, कहकर क्यों डराती है वह,
मैं क्या सुनाऊ,अब उसे अपने डर की दास्तां?

अगर, अब भी हाथों में मेरे उसका हाथ है,
तो यकीनन मंजिल दूर नही पास है,
अगर छुड़ाली हाथ ,तो न दूसरा मंजिल होगा
न होगी दूसरा रास्ता।

क्या सुनाऊ,तुझे अपने मोहब्बत की दास्तां ?

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