दिन भर दोस्तों की महफ़िल जमीं रही,
और शाम को फिर अकेला घर लौटें।यहां हर तरफ भीड़ ही भीड़ है
और हर शख्स बेगाना सा घर लौटे।निकले थे अपनों की तालाश में
और बनकर आज आवारा घर लौटें।कभी हमारे अंदर ख्वाहिसों की दरिया थी,
वो आज मिलें क्या, हमसे
एक एक तमन्ना फिर घर लौटें।