हरकते बिगडने लगी जब मैं बड़ा होने लगा।
सबों को मुझ में खामिया नजर आने लगी,
मेरा उनपर से असर ख़त्म होने लगा ।जब हम छोटे थे तो हर कोई प्यार करता,
हर कोई चाहता था हमे,
पता नही आज क्यों हमे जवानी से ज्यादा बचपन
प्यारा लगने लगा।अब हर कोई डांटता हमे ,
तरजीह देता हमे सुधर जाने की।
एक बार फिर जीना चाहता हूँ बचपन,
न जीवन जवानी की।