पाठ-4

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अनु की बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी ! अनीता तो सर पकड कर बैठी थी !

तभी एक आटौ वाला आता दिखाई दिया ,अनु ने आगे आ कर उसे हाथ दिया तो वो रुक गया ! लेकिन अनीता को देख कर एकदम से मना करके आगे निकल गया!

अनु बहुत ही टैंशन में आकर बोली:- अब कैसै जाएं गे अनीता घर ? इसलिए मैं रात को आफिस के बाद कही जाने का बनाती नही कोई भी प्रोग्राम !

अनीता लड़खड़ाती हुई आवाज में: अरे पहुंच जायेंगे तू टैक्सी को बुला !

अनु: नही मुझे टैक्सी में नही जाना ! मुझे तो टैक्सी में जाना सही नहीं लगता इतनी रात को !!!

तभी रेस्ट्रोरेन्ट बार से वही हैंडसम सा लडका बाहर निकला ! अनु की नज़र उस पर पडी,वो उनकी तरफ ही आ रहा था !

अनु ने उसे अपने करीब आता देख कर मुंह दुसरी तरफ कर लिया कि जैसे उसे कोई मतलब नही है उससे !

वो लडका अनु के करीब आ कर बोला : मेरे पास गाड़ी है मै छोड देता हूं आप दोनों को घर,ये मै इसलिए कह रहा हूं कि आप दोनों अकेली है और टाईम ज्यादा हो गया है आप अच्छे घर से भी लगती है !

अनु ने तो उसकी बात पूरी होने से पहले ही कह दिया: नही कोई जरूरत नही हम चले जाए गे हम किसी फ्रैन्ड को फोन कर लेगे बहुत फ्रैन्डस है हमारे यही आस पास !

अनु ने ऐसा जानबूझ कर कहा कि जैसे उस लड़के को लगे कि हम अकेली नहीं हैं क्योंकि अनु नहीं चाहती थी कि कोई भी उनका फायदा उठाये !!!

लडका फिर बोला:-  मै सिर्फ इन्सानियत के नाते कह रहा हूं और मेरा कोई मतलब नही है !!!!

अनु ने साफ मना कर दिया और अपने फोन पर ऐसे ही नम्बर देखने लग गई जैसे वो दिखाना चाहती थी कि वो सच में किसी फ्रैन्ड को फोन कर रही हो ! अनु चाहती थी कि तब तक वो लडका चला जाए !

लेकिन अनु और कुछ कहती इससे पहले अनीता जो नीचे सीढ़ियों पर बैठी थी,एक दम से उठी और लड़खड़ाती हुई आवाज में उस लडके को बोली: हां हां तुम हमें घर तक छोड़ दो प्लीज़ ! कोई फ्रैन्ड नही आने वाला हमें लेने !

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