पाठ-25

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और उसने अपनी गन पैंट के पीछे से निकाल कर दरवाजा खटखटाया ! लेकिन कोई आवाज नही आई ! अब विक्रम को यकीन हो गया कि कुछ गडबड जरुर है ! क्योकि अनु उसकी एक काॅल पर एकदम से दरवाजा खोल देती है !
उसने फोन की लाइट जगा कर दरवाजे पर मारी उसको लगा शायद अनु कुछ लेने बाजार न गई हो ! बहुत सी बातें उसके दिमाग में घूम गई !

विक्रम ने देखा दरवाजे पर ताला लगा हुआ था ! वो हैरान हो गया कि अनु उसे बताए बगैर नही जा सकती क्योंकि हालात ठीक नही ! और विक्रम की काल पर फोन बंद कर लेना ! अनु ऐसा कर ही नही सकती ! दरवाजे पर ही खडे खडे विक्रम ने सारी बातें सोच ली ! फिर उसको लगा कि क्या पता अनु घर के अन्दर हो कोई उसको जबरदस्ती बोलने ना दे रहा हो और बाहर से ताला लगवा दिया हो !

बहुत से सवालों के साथ विक्रम ने दरवाजा एक धक्के से खोल दिया कुन्डी टूट कर एक तरफ गिर गई ! विक्रम हाथ में गन लेकर पूरे घर का कोना-कोना देख चुका था ! लेकिन अनु कही दिखाई नही दी !

विक्रम ने दोबारा अनु को फोन लगाया ! फोन बंद आ रहा था ! अब विक्रम को कुछ गलत होने की आंशका हो गई थी !

उसने अनीता को फोन लगाया ! फोन की घंटी बज रही थी ! अनीता ने फोन उठाते ही बोला : ओह हो जीजा जी आज इतनी रात को मेरी याद कैसे आ गई !

विक्रम : अनीता सुनो ! क्या अनु का तुम्हारे पास कोई फोन आया ?

अनीता : क्या हुआ ? नही तो मुझे तो आफिस के बाद उसने फोन किया ही नही ! क्यो क्या हुआ ?

अनीता ने घबराकर पूछा !

विक्रम : अनीता वो अभी मै घर आया तो अनु घर पर नही है और उसका फोन भी बन्द है ! ऐसा कभी हुआ ही नही !

अनीता : हा फोन तो बन्द वो कभी करती ही नही ! और बिना बताए कही जाती भी नही !
विक्रम : अनीता ! तुम अभी आॅटो पकड कर यहां आ जाओ ! मुझे निकलना होगा ! मुझे कुछ ठीक नही लग रहा !

अनीता : ओके मै बस पहुचती हूं वहा तुम निकल जाओ और पता लगते ही फोन कर देना !
विक्रम तेजी से बाहर निकल गया ! विक्रम को शक दिलावर सिंह पर हुआ ! उसने कार दिलावर सिंह के अड्डे की तरफ मोड दी !

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