पाठ-24

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अनु :मै भी बाकी की पूरी जिंदगी तुम्हारे साथ जीना चाहती हू ! गुड़िया को एक अच्छी जिंदगी देना चाहती हू ! उसके सारे सपने पूरे करना चाहती हू ! तुम्हारे साथ जिन्दगी का हर पल जीना चाहती हू !

विक्रम ने अनु को अपनी बाहों में भर लिया और बोला : मै तुम्हारे और गुड़िया के हर सपने को पूरा करुंगा !

विक्रम : बस तुम वही कऱो जो मै कहता हू !
अनु :  यह महीना पूरा होने में चार दिन बचे है पूरा कर लेती हूं उसके बाद आफिस जाना छोड दूगी !

विक्रम ! ठीक है ! चलो तैयार हो जाओ मैं तुम्हें छोड कर निकलूगा कुछ काम है !शाम को लेने आ जाऊं गा !

अनु और विक्रम दोनों तैयार होकर निकल गये !
आफिस पहुच कर अनु ने सब कुछ अनीता को बताया !

अनीता : बहुत। हैरानी हो रही है सब सुन के लेकिन विक्रम अगर तेरे लिए सब छोड कर नई जिंदगी शुरू कर रहा है तो अच्छा है तू भी उसका साथ दे ! और तुम और गुड़िया यहां से दूर एक नई जिंदगी शुरू करो !

अनु : हा बस अब जाॅब छोड दूंगी फिर बस कुछ दिनों में निकलना है यहां से, विक्रम ने सब इंतजाम कर लिया है !

अनीता : मै साथ हूं अनु तेरे हर फैसले में !
जब कहे गी जहां कहेंगी वही खडी हो जाउंगी !

अनु ने अनीता को गले से लगा लिया और बोली : तू मेरी सहेली नही मेरी बहन है, गुड़िया खुशकिस्मत है जिसे तेरे जैसी मौसी मिली !

अनु को घर छोड़ कर विक्रम जाने से पहले मुडकर बोला : हम ये शहर छोड कर जा रहे है ठीक एक हफ्ते बाद ! मैंने सारी तैयारी कर ली है बस तुम अपना जरुरी सामान पैक कर लेना ! बाकी घर का क्या करना है और सामान का क्या करना है वो मैने इंतजाम कर लिया है ! बाद में ह़ो जायेगा ! दो दिन बाद हम  गुड़िया को ले आयेंगे !

अनु ने हां में सर हिला दिया ! विक्रम तेजी से बाहर निकल गया !
अनु सोच रही थी कि विक्रम कितनी फिक्र करता है उसकी और गुड़िया की ! बिना उसके कुछ सोचे सब कुछ कर रहा है !

अनु के दिल को एक सुकून सा मिला ! तभी उसके फोन की घंटी बजी ! अनजाना सा नम्बर था ! अनु ने फोन उठा कर हैलो बोला !! तो उधर से जानी पहचानी सी आवाज आई : हाय कैसी हो ? भूल गई तुम मुझे !

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