क्या पता था मुझे ,
की जिस सुकून की तलाश में दिन भर दिन भटकता था
वो तेरी मुस्कराहट में मिल जायगा |अब इसे किस्मत का खेल समझू या
फरिश्तों की साजिश ,
अल्लाह का दिया तोहफा समझू या
मेरे इबादतों की कोई ख्वाइश |तेरा मिलना तो मानो,
बरसात के मौसम की वो पहेली बारिश |क्या पता था मुझे,
की मेरी बरसो अनसोई आँखों को
तेरी नींद का पन्हा मिल जायगा,मेरे सहमे से दिल में,
फिर एक दफा इश्क़ का उजाला हो जायगा |शुक्रगुज़ार हु में उस खुदा का ,
जिसने तेरी मौजूदगी का साया मेरी झोली में रखा
और मेरी बंजर सी ज़िन्दगी को एक नई राह चलाया|क्या पता था मुझे की ,
तू एक अजनबी से हमसफ़र तक का
फासला तेह कर जायगीक्या पता था मुझे
की तू एक ही पल में मेरी ज़िन्दगी बन जायगी....🍁🍁_______________________________🍁🍁
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लफ़्ज़ों की साजिश
Poetryकुछ अंकही दस्तानो का खूबसूरत सफर।। ये दिलों की बातें है, दिल से पढ़ोगे तोह ही समझ आयगी! तो झांकिये पन्हो मे और बन जाइये हिस्सा इस खूबसूरत सफर का।