क्या पता था मुझे.....

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क्या पता था मुझे ,
की जिस सुकून की तलाश में दिन भर दिन भटकता था
वो तेरी मुस्कराहट में मिल जायगा |

अब इसे किस्मत का खेल समझू या
फरिश्तों की साजिश ,
अल्लाह का दिया तोहफा समझू या
मेरे इबादतों की कोई ख्वाइश |

तेरा मिलना तो मानो,
बरसात के मौसम की वो पहेली बारिश |

क्या पता था मुझे,
की मेरी बरसो अनसोई आँखों को
तेरी नींद का पन्हा मिल जायगा,

मेरे सहमे से दिल में,
फिर एक दफा इश्क़ का उजाला हो जायगा |

शुक्रगुज़ार हु में उस खुदा का ,
जिसने तेरी मौजूदगी का साया मेरी झोली में रखा
और मेरी बंजर सी ज़िन्दगी को एक नई राह चलाया|

क्या पता था मुझे की ,
तू एक अजनबी से हमसफ़र तक का
फासला तेह कर जायगी

क्या पता था मुझे
की तू एक ही पल में मेरी ज़िन्दगी बन जायगी....

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