काली अँधेरी घटा में सूरज की उस मीठी धुप सा है वो
घनघोर बारिश में पेड़ की नरम छाओ सा है वोठेहरे समुन्दर सा शांत भी है
तो गिरी सा विशाल भीकाली रात सा भयानक भी है
तो सुबह फूलों पर पड़ी ओस सा कोमल भीवो पिता है , बिना जताय सारी रात परवाह करने वाला भी वो है
तो हमारे सपनो को उमीदो के पर लगाने वाला भी वो हैखुद दर्द का घुट पी कर हमे सुकून का पन्हा देने वाला भी वो है
तो हमारे नन्हे कदमो को सही मंज़िल पर चलाने वाला भी वो हैअपनी भावनाओ को पल्खों की छाओ में छुपाने वाला भी वो है
तो तनहा मन रख चेहरे पर मुस्कान दिखने वाला भी वो हैपिता महज़ एक शब्द नहीं
अनेको भावनाओ का शब्दकोश है
स्वाभिमानता की मूरत है
अनगिनत तुजुर्बे भरी कहानियों की खुली किताब सा है
जताता नहीं पर
हमारे दर्द में बहे हर ाासुको महसूस करने वाला भी वो है
बताता नहीं पर
सबसे ज़्यादा जानने वाला भी वो है🍁🍁________________________________🍁🍁
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लफ़्ज़ों की साजिश
Poetryकुछ अंकही दस्तानो का खूबसूरत सफर।। ये दिलों की बातें है, दिल से पढ़ोगे तोह ही समझ आयगी! तो झांकिये पन्हो मे और बन जाइये हिस्सा इस खूबसूरत सफर का।