यूही कश्मकश में बैठे राते कटती गयी
एक उम्मीद ने दिल पर पन्हा ली
अँधेरे के बदलो ने यूही छट्ट कर
मेरे सपनो को दिशा दी
हवाओ की फ़िज़ाओं में रंग था कुछ नया सा
ज़िन्दगी की साजिश में
ढंग था कुछ अलग सा
फिर एक बार इस कश्मकश के बीच
एक आवाज़ आयी दिल से
"क्या में सही हु? "और ये दिमाग फिर अनेको उलझनों में फस गया
पर ये दिल एक बार फिर बिन सुने ही चल पड़ा
तोड़ के सही गलत के बंधन
ये दिल फिर हवा सा बह चला
बिन मंज़िल की परवाह किये
यही अपने सुकून की तलाश में बह चला
पर परवाह नहीं मुझे मंज़िल की
पर हा ये रास्ता सही था
क्यूंकि यह मेरा सुकून था🍁🍁________________________________🍁🍁
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लफ़्ज़ों की साजिश
Poetryकुछ अंकही दस्तानो का खूबसूरत सफर।। ये दिलों की बातें है, दिल से पढ़ोगे तोह ही समझ आयगी! तो झांकिये पन्हो मे और बन जाइये हिस्सा इस खूबसूरत सफर का।