सुकून का तराजू...

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हुई है आँखे नम आज फिर
देख के उसके आँसू ,
क्यों मिलता नहीं कहि मुझे
उसके सुकून का तराजू |

तोल लू में खुशियां अपनी
मिटा दू उसके गम ,
यही दुआ में मांगता हु
हर शाम उसके संग |

ऐ खुदा- ए- रेहमत कबूल कर ये दुआ
दे दे उसे उसके हक़ की ख़ुशी
भले छीन ले मेरी मुस्कान ,

हे मेरे मौला न जाने कैसे
तूने हमारी तक़दीर बनाई ,
हमे हमारे सुकून से मिला कर
भी हमारी राहे न मिलायी |

अब तो यही आरज़ू है मेरी ,
भले दे कर मेरी झोली में अँधेरे का साया
दिखा दे उसे उसकी ज़िन्दगी कके सुकून का रास्ता ||

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