हुई है आँखे नम आज फिर
देख के उसके आँसू ,
क्यों मिलता नहीं कहि मुझे
उसके सुकून का तराजू |तोल लू में खुशियां अपनी
मिटा दू उसके गम ,
यही दुआ में मांगता हु
हर शाम उसके संग |ऐ खुदा- ए- रेहमत कबूल कर ये दुआ
दे दे उसे उसके हक़ की ख़ुशी
भले छीन ले मेरी मुस्कान ,हे मेरे मौला न जाने कैसे
तूने हमारी तक़दीर बनाई ,
हमे हमारे सुकून से मिला कर
भी हमारी राहे न मिलायी |अब तो यही आरज़ू है मेरी ,
भले दे कर मेरी झोली में अँधेरे का साया
दिखा दे उसे उसकी ज़िन्दगी कके सुकून का रास्ता ||🍁🍁________________________________🍁🍁
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लफ़्ज़ों की साजिश
Poetryकुछ अंकही दस्तानो का खूबसूरत सफर।। ये दिलों की बातें है, दिल से पढ़ोगे तोह ही समझ आयगी! तो झांकिये पन्हो मे और बन जाइये हिस्सा इस खूबसूरत सफर का।