वो मीठी सी चिड़िया आज चुप थी या ये कहु एक बार फिर चुप करवा दी गई थी...
क्यूंकी पापा पापा कहती वो छोटी सी बच्ची अंजान थी उन बड़लावो से जो उस जिस्म में पन्हा लेने वाले जो उन नजरो उसका पीछे करने के लिए बेकरार होने वाले थे, उन इल्जामो से जो उसके न होकर बी उसपर लगने वाले थे ....
उन सवालो से जिन्के जवाब ने एक बार फिर उसकी आवाज छीन ली थी....
चाहे वो बाथरूम से निकली वो पहली चींख जो सालो पहले ही दबा दी गई थी या कपड़ो पर लगा वो लाल निशान जिस से शर्म का ढाबा स्मझ कर छुपा दिया गया था या आज उसकी सड़क पर वो निकली पहली जिसे पूरे समाज ने सुनकर अंसुना कर दिया था ।
जिसका निशान उसके कपड़ो पर नही उसके जिस्म पर था और घाव उसके उस मासूम दिल पर..
पर आज उसका वो मासूम दिल पुछ अच्छा था क्यू? क्यू? क्या चुपी को हर बार किसी या के गुनाहो की ढाल बना दिया जाता है?
क्यों अपने गुनाहो से अंजान है चिड़िया को पिंजरे में केद कर दिया जाता है।?
क्यू सब कुछ जान कर और देख कर भी अंदेखा कर दिया जाता है?
क्यू उसके घावो पर ये चुपी का नमक छिड़क दिया जाता है?
क्यों उसके कांच के मासूम दिल को हर बार बेरेहमी से तोड़ दिया जाता है?🥀_____________________________________🥀
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लफ़्ज़ों की साजिश
Poesieकुछ अंकही दस्तानो का खूबसूरत सफर।। ये दिलों की बातें है, दिल से पढ़ोगे तोह ही समझ आयगी! तो झांकिये पन्हो मे और बन जाइये हिस्सा इस खूबसूरत सफर का।