सपने...

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नन्ही पलको की छाओ मे खोय है कुछ सपने,
पनखो की तलाश मे भटक रहे है कुछ अपने,
नन्हे कदमो को अंचाही मंज़िल की ओर चलाते है कुछ लोग,
बिन समझे उनकी ख्वाइश,
बस थोप रहे है कुछ बोझ।

धकेलने से पहले पूछ लो जाना है इन्हे कहा?
उडाने से पहले जान लो क्या खुशियाँ है भी उनकी वहा?

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