भूतनाथ

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"हम देश के रखवाले ही हैं और तुम लोगों की वज़ह से हमारा मिशन खतरे में पड़ गया है" भूतनाथ ने तीखे लहजे में कहा।

"लोगों की सुरक्षा भी एक मिशन है" देव ने जवाब दिया तो भूतनाथ चिढ़ते हुए बोला "और अगर कुछ लोगों की सुरक्षा के चक्कर में हजारों जानें जाने का खतरा हो तो क्या करना चाहिए देव साहब!"

"सवाल उसूलों का है, अपने मिशन के लिए निर्दोष लोगों को मरने देना आतंकवादियों का काम है सैनिकों का नहीं!" देव ने जिस दृढ़ता से जवाब दिया उससे भूतनाथ कुछ पलों के लिए नि: शब्द हो गया था।

भूतनाथ खड़ा हो गया और देव के सामने आकर उसने कहा "यह एक युद्ध है और युद्ध उसूलों से नहीं बल्कि रणनीति से जीते जाते हैं!"

"तो फिर कुरुक्षेत्र में वासुदेव ने पांडवों का साथ क्यों दिया था? जबकि कौरवों के पास बेहतर रणनीति और संसाधन थे?" एकबार फिर भूतनाथ चकित हो गया देव के इस, जवाब से। उसने दीवार पर मुक्का मारते हुए कहा "मेरे पास बहस करने का समय नहीं है!"

"हम ज्यादा देर तक आपको परेशान नहीं करेंगे, हम जा रहे हैं" देव ने भी उसी लहजे में जवाब दिया तो भूतनाथ बोला "रुको!.... तुम अगर दुश्मन के जासूस हुए तो हमारी खबर दुश्मन को दे सकते हो"

कुछ देर तक चुप रहने के बाद भूतनाथ बोला "अब तुम हमारे साथ तब तक रहोगे जब तक हमारा मिशन पूरा नहीं हो जाता!"

नलिनी और सुबोध दोनों कभी देव की तरफ़ देखते तो कभी भूतनाथ की तरफ़ तभी देव गरजा "नलिनी को हाथ लगाने की गलती मत करना वरना तुम्हारा मिशन यहीं खत्म हो जाएगा!"

भूतनाथ की आँखों में खून उतर आया "मुझे कोई धमकी नहीं देता!..." उसने अपने दोनों साथियों को एक इशारा किया और दोनों पलक झपकते ही देव पर टूट पड़े। बूडा ने देव को गिराने के लिए उसके पैरों पर प्रहार किया जिससे बचते हुए देव उछला और एक लात उसके सिर पर मारी जिससे वो फुर्ती से बचा।

पेस्ट ने देव के ऊपर सिर पर हमला किया जिसके जवाब में देव ने बचते हुए एक घूँसा उसके सिर पर मारा लेकिन वो भी बच गया और घूँसा उसके कंधे पर लगा जिससे पेस्ट को कोई असर नहीं हुआ। तीनों एक-दूसरे से गुत्थमगुत्था हुए जा रहे थे जिसे देखकर नलिनी घबरा रही थी।

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