अचानक नलिनी के कानों में एक आवाज गूँजी, "R.P.G.!!... R.P.G.!!!.." इतना कहते ही बूडा ने अपनी आटोमेटिक इन से अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी, भूतनाथ ने अपना ग्रेनेड लांचर ठीक उसी दिशा में दाग दिया, अचानक उसी दिशा से दो RPG गोले आकर दीवार से टकराकर फटे और वो दीवार भरभराकर ढह गई, इससे पहले दुश्मन और गोले दागे पाता उन दोनों को भूतनाथ ने अपने लांचर से उड़ा दिया।
गोलियों की आवाज़ से नलिनी के कान फट रहे थे, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि तभी एक शक्तिशाली हाथ ने उसे नीचे फर्श की तरफ़ खींचा, नलिनी ने डर के मारे अपनी आँखें बंद कर ली थी, वो उसी हाथ को पकड़ कर लेट गई, शायद वह उसे सुबोध का हाथ समझ रही थी इसलिए उसने सुबोध की बाँहों में छुपने की कोशिश की तो बड़े ही जोर से उस हाथ ने उसे झटक दिया।
"नलिनी!" तभी सुबोध की आवाज़ ठीक उसके पीछे थोड़ी दूर से आई, "सुबोध वहाँ है तो यह मैंने किसका हाथ पकड़ लिया था?" नलिनी ने खुद से ही सवाल किया लेकिन इसका उत्तर वो भी जानती थी, जिस नफ़रत से उसने उसका हाथ झटक दिया वो देव के सिवा और कौन हो सकता है?
लगातार गोलीबारी से वह इमारत भी जगह जगह से जर्जर हो रही थी, तभी अचानक चार RPG दीवारों पर टकराए और धमाकों से इमारत ताश के पत्तों की तरह ढहने लगी। फर्श टूटने की वजह से सभी नीचे वाले फ्लोर में गिर पड़े, शुक्र है कि किसी को कोई गंभीर चोट नहीं आई थी।
"यह बिल्डिंग कभी भी गिर सकती है!.... मेरे पीछे आओ सभी!!" भूतनाथ गरजा और फटाफट नीचे की तरफ़ उतरने लगा, बूडा सबसे आगे था पीछे सुबोध और भूतनाथ ने नलिनी का हाथ पकड़कर उसे लगभग खींचते हुए दौड़ा, पीछे कारीडोर से खालिद के गुंडे गोलियां चला रहे थे इसलिए देव ने पीछे मोर्चा संभाला और किसी भी गुंडे को उनका पीछा करने से पहले ही ढेर कर दिया।
वो पाँचों लगातार भागते हुए नीचे जा रहे थे लेकिन देव को कुछ अजीब सा लग रहा था। वो भागते हुए कई बार खिड़की के पास से होकर निकले थे लेकिन किसी ने उन पर स्नाइपर फायर नहीं किया जबकि ऐसे में वे सभी आसानी से निशाना बनाए जा सकते थे।
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आखिरी दस्तक
Actionजब नलिनी की खूबसूरती उसकी दुश्मन बनती है तो हर नज़र उसके कपड़ों के अंदर झाँकती है लेकिन वो किसी तरह इस वहशी समाज में रह रही थी, समाज के उन भूखे भेड़ियों से बचकर लेकिन आज उसका सामना हुआ ऐसी मुसीबत से जो उसके जिस्म को नोंचकर खा जाएगा और कोई उसका सामना...