"हैलो! हमारा नाम हसीना है!" तेजी से हिचकोले खाती गाड़ी में बैठी उस बला की खूबसूरत महजबीं ने अपना हाथ नलिनी की तरफ़ बढ़ाते हुए कहा। नलिनी ने हिचकते हुए उसके अभिवादन का जवाब देते हुए कहा"मेरा नाम नलिनी है!
खालिद ने पक्का इंतजाम किया था उन सबको मारने का, उसके आदमी बिल्डिंग के कोन कोने में तलाशी ले रहे थे। अंदर उसके गुंडे और बाहर उसके स्नाइपर लगातार गोलीबारी कर रहे थे लेकिन भूतनाथ ने बड़ी ही चालाकी से सभी को खालिद के आदमियों से बचाया था, ब्लैक को ऐसे छुपकर भागना अच्छा नहीं लगा लेकिन नलिनी की सुरक्षा के लिए उसे जाना पड़ा।
खालिद जैसे लकड़बग्घे ने ब्लैक जैसे शेर को मारने का आखिरी मौका भी को दिया, अब उसे ब्लैक से कोई नहीं बचा सकता है, अपने आसपास इतने गुंडों की फौज होने के बाद भी उसका डर कम नहीं हो रहा था। अपनी खीझ मिटाने के लिए उसने आस-पास के इलाकों से कई हिंदू औरतों का अपहरण करवा दिया और अपने हरम में सबको निर्वस्त्र कर उनके साथ बलात्कार किया और जब इतने से भी उसका अहंकार शांत नहीं हुआ तो उन औरतों को उसने अपने गुंडों के लिए छोड़ दिया।
वहीं सरेआम उन बेचारी औरतों की इज्जत लुटती रही, उनकी दर्द भरी चींखें गूँजती रहीं, अब जिस्मफरोशी का यह बाज़ार ही उनका नर्क था जिसमें पल-पल उनके शरीर और आत्मा को नोंच खाने वाले गिद्ध उन्हें भंभोडकर का रहे थे। ऐसे राक्षस का वध होना जरूरी था, वो भी किसी स्त्री के हाथों।
गाड़ी गोली की रफ़्तार से बढ़ती जा रही थी किसी अनजान मंजिल पर, गाड़ी में बूडा आगे ड्राइव कर रहा था और भूतनाथ उसके बगल में ही बैठा हुआ था। पीछे एक तरफ़ सुबोध, नलिनी और हसीना बैठे हुए और उनके सामने वाली सीट पर पेस्ट लेटा हुआ था, वह घायल था और उसे इलाज की जरूरत थी और उसके पास बैठा था "ब्लैक (देव)"।
गाड़ी में अजीब सी खामोशी छाई हुई थी जिसे दूर करने के लिए हसीना ने हँसते हुए कहा "अरे जनाब मुस्कुराइए, अब आप खतरे से बाहर है, ...... वैसे भी हसीना के साथ कोई गमगीन नहीं होता"
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आखिरी दस्तक
Actionजब नलिनी की खूबसूरती उसकी दुश्मन बनती है तो हर नज़र उसके कपड़ों के अंदर झाँकती है लेकिन वो किसी तरह इस वहशी समाज में रह रही थी, समाज के उन भूखे भेड़ियों से बचकर लेकिन आज उसका सामना हुआ ऐसी मुसीबत से जो उसके जिस्म को नोंचकर खा जाएगा और कोई उसका सामना...