नौकर

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जैसे-जैसे शादी नज़दीक आ रही थी वैसे ही नलिनी और देव की व्यस्तता भी बढ़ती जा रही थी, आज पूरे एक हफ्ता हुआ है दोनों को मिले हुए। दोनों के परिवारों में शादी की तैयारियां जोरों पर थी, पूरे शहर में यह शादी चर्चा का विषय थी कि कैसे राम साहब जैसे संपन्न और शाक्तिशाली इंसान ने एक साधारण से परिवार के लड़के को अपना दामाद स्वीकार कर लिया था।

चारों तरफ़ राय साहब की तारीफों के पुल बांधे जा रहे थे, घर-घर लोग चर्चा कर रहे थे कि कैसे राम साहब जैसे बड़े आदमी ने अमीर-गरीब का फर्क नहीं देखा, कोई ऊँच नीच नहीं देखी, इतना सच्चा इंसान कहीं नहीं मिलता।
एक पत्रकार गली में लोगों से चर्चा कर रहे थे, बड़ा ही मजमा लगा हुआ था।

"दर्शकों, मैं रिपोर्टर प्रशांत किशोर यहाँ पर लोगों से बात करने वाला हूँ, पूरे शहर में चर्चा है तो बस राय साहब की, आईए लोगों से पूछते हैं!"

"आपका नाम क्या है?" रिपोर्टर ने माइक एक अधेड़ उम्र के आदमी की तरफ करते हुए बोला तो वो आदमी झिझकते हुए बोला "जी..रा!.." इससे पहले वो अपना नाम बता पाता रिपोर्टर ने माइक अपनी तरफ़ खींचा और कैमरे की तरफ़ देखकर बोला "जैसा की आप देख रहे हैं कि हमारे साथ हैं जीरा जी!..."

इतने में उस आदमी ने उसे टोका "जीरा नहीं....!" लेकिन इससे पहले वो अपनी बात पूरी करता उससे पहले ही रिपोर्टर ने माइक लेकर कहा "माफ़ कीजिए इनका नाम जीरा नहीं है, हाँ तो जीरा नहीं जी!.... आप क्या सोचते हैं राय साहब के बारे में?"

"बड़े ही भले आदमी हैं, आज जब अमीर किसी गरीब को अपने घर में नहीं घुसने देता ऐसे में राय साहब ने एक गरीब को अपना दामाद स्वीकार कर लिया, .......वो इंसान नहीं देवता हैं!"

रिपोर्टर ने दूसरा सवाल किया "तो क्या आपको लगता है कि इस चुनाव में राय साहब जीतेंगे?" इस पर वो आदमी हँसा और बोला "राय साहब के अलावा कोई जीत ही नहीं सकता, देखना, तीन दिन बाद होने वाले मतदान में हर वोट राय साहब के लिए ही होगा!"
रिपोर्टर ने भी मुस्कुराते हुए कहा "अगर राय साहब देवता हैं तो उनका दामाद भी तो देव है!" और इतना बोल कर वो जोर से हँसने लगा।

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