नलिनी और देव के अतीत की तपन को सुबोध भी महसूस कर रहा था। नलिनी फूट-फूटकर रो रही थी और देव खिड़की के पास बाहर नज़र रखे हुए था। वो ऐसा जताने की कोशिश कर रहा था कि नलिनी के रोने का उस पर कोई असर नहीं पड़ रहा है लेकिन ना जाने क्यों सुबोध यह महसूस कर पा रहा था। नलिनी के आँसू देव के सीने पर अंगारों की तरह पड़ रहें थे, उसका चेहरा तो कठोर था लेकिन दर्द उसकी आँखों से यदा-कदा झलक ही जाता था।
अचानक एक गोली देव के कंधे को चीरती हुई निकल गई, दर्द की वज़ह से वह लड़खड़ा कर गिर गया, खून उसके कंधे से टपकता हुआ जमीन पर गिरने लगा। "देव!!...." नलिनी चीखते हुए देव की तरफ़ दौड़ी, उसे इस बात का भी ध्यान नहीं रहा कि वो उससे नफ़रत करती है, वो यह भी भूल गई कि सुबोध उसका पति है वो वहीं था।
"देव!!.." नलिनी देव के पास पहुँचकर उसके कंधे को छूने ही वाली थी कि तभी देव गरजा ,"देव... मर चुका है!!..."
उसने अपने हाथ से नलिनी को पास आने से रुकने का इशारा किया। देव ने खुद को संभाला और वो वापस खड़ा हो गया और खिड़की के बाहर गोलियाँ चलाने लगा, उसके कंधे से खून अभी भी नीचे टपक रहा था। उसका बहता खून देखकर नलिनी की आँखों में कभी गुस्सा तो कभी दर्द झलक रहा था, ऐसा लग रहा था कि जैसे गोली देव को लगी है लेकिन दर्द नलिनी को हो रहा था। ये क्या था दोनों के बीच जो खत्म नहीं हुआ, इश्क भले ही नफ़रत में बदल गया लेकिन था तो वो कुछ जिसे समझाना मुश्किल था।सुबोध सब समझ गया था दोनों के बीच फूटते नफ़रत के ज्वालामुखी की जगह प्रेम का दरिया था कभी।
"तुम्हारे कंधे से खून बह रहा है!...." सुबोध ने देव की तरफ़ देखते हुए कहा लेकिन देव ने कोई जवाब नहीं दिया।
नलिनी उसके बहते खून को देख कर बेचैन हो रही थी, सुबोध ने फिर से कहा "देव!.... तुम्हारे खून को रोकना होगा नहीं तो तुम्हारी तबियत बिगड़ सकती है!", देव की खामोशी ने सुबोध को भी बेचैन कर दिया था।
नलिनी से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था इसलिए वो देव की तरफ़ देखते हुए बोली "देव!.....अगर तुम्हारे बहते खून को नहीं रोका तो!.... तो! ....तुम्हारी जान!", "जा चुकी है!....." देव ने नलिनी की बात काटते हुए कहा। नलिनी एकदम स्तब्ध हो गई, उसके होंठों से कोई शब्द नहीं निकला। "देव मर चुका है!...." देव की बात सुनकर नलिनी की आँखों से आँसु ढलक गए।
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आखिरी दस्तक
Açãoजब नलिनी की खूबसूरती उसकी दुश्मन बनती है तो हर नज़र उसके कपड़ों के अंदर झाँकती है लेकिन वो किसी तरह इस वहशी समाज में रह रही थी, समाज के उन भूखे भेड़ियों से बचकर लेकिन आज उसका सामना हुआ ऐसी मुसीबत से जो उसके जिस्म को नोंचकर खा जाएगा और कोई उसका सामना...