खालिद के गुंडे उसके ही फ्लोर पर पहुँच ही गए थे लेकिन इससे पहले वो नलिनी को देखते कि तभी अचानक एक शक्तिशाली हाथ ने नलिनी का हाथ पकड़ा और अगले ही पल नलिनी उसी फ्लेट के अंदर थी। नलिनी पसीने से लथपथ हो गई थी, घबराहट में उसे कुछ समझ में नहीं आया कि वो अंदर कैसे आ गई, उसका दिल तेजी से धड़क रहा था, कुछ पलों में वो सामान्य हुई तो देखा कि जिसे इतनी देर से वो पकड़कर सहारा ले रही थी वो हाथ देव का था, उतनी शक्ति सिर्फ उन्हीं हाथों में थी जो उसे थाम सकें, एक वो ही था जो इतने अधिकार से उसका हाथ थाम सकता था।
उस फ्लैट के अंदर एक अधेड़ उम्र की महिला और उसका पति थे, अचानक गन लोड होने की आवाज उसके पीछे से आई, उसने मुड़कर देखा तो दो आदमी सीधे उस पर बंदूक ताने हुए थे, मैं और सुबोध बहुत ही डरे हुए थे कि अब आगे क्या होगा लेकिन एकाएक ही देव सीधा मेरे आगे आ गया, मेरी तरफ़ उठने वाली बंदूकों के आगे वो एक दीवार बनकर खड़ा हो गया।
खून अभी भी उसके कंधे से बह रहा था लेकिन वो मेरे सामने से हटने को तैयार नहीं था। उन दोनों आदमियों ने एक-दूसरे की तरफ़ देखा, थोड़ी देर में एक ने अपनी एक अंगुली से हमें चुप रहने और शोर ना करने का इशारा किया, देव ने आँखों में सहमति जताई और धीरे-धीरे उन दोनों ने अपनी गन नीचे कर ली।
नलिनी, देव और सुबोध तीनों चुप रहे, उनका मुंह बाहर के दरवाजे की तरफ़ था जहाँ वे दोनों आद खड़े थे, देखने से लग रहा था कि जैसे वे लोग आर्मी से थे। अचानक पीछे के कमरे से कुछ आहट हुई और वे दोनों सावधान होकर खड़े हो गए।
नलिनी ने पीछे मुड़कर देखा तो एक अधेड़ उम्र का आदमी था जो उन दोनों आदमियों की तरह ही हट्टा कट्टा था, शायद वह उन दोनों का लीडर था।
उसने उन्हें पीछे हटने का इशारा किया जिसका पालन दोनों ने तुरंत ही किया और वो पीछे खड़े हो गए। लीडर ने नलिनी की को चुप रहने का इशारा किया और सभी बिना आहट किए वहीं खड़े रहे। बाहर गुंडे हर दरवाजे को खटखटा कर हर घर में तलाशी ले रहे थे।
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आखिरी दस्तक
Acciónजब नलिनी की खूबसूरती उसकी दुश्मन बनती है तो हर नज़र उसके कपड़ों के अंदर झाँकती है लेकिन वो किसी तरह इस वहशी समाज में रह रही थी, समाज के उन भूखे भेड़ियों से बचकर लेकिन आज उसका सामना हुआ ऐसी मुसीबत से जो उसके जिस्म को नोंचकर खा जाएगा और कोई उसका सामना...