शायद

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किरदार है, मगर कहानी नही है।
बातें है, मगर वाणी नहीं है।

कहना तो बहुत कुछ चाहती हूँ,
मगर ज़ुबाँ कभी बोल ही नहीं पाती।
मन की बात, है मन में ही रह जाती।

शायद आंके जाने का डर है,
गलत समझे जाने की है फ़िक्र।

या है ही नहीं कोई ऐसा शायद,
जो समझ सके मुझे, मेरी दिल की बातों को।
मेरे ज़ुबाँ की खामोशी को, मेरे मन की आहट को।

है ही नहीं कोई ऐसा शायद,
जो पढ़ ले मेरी आँखों को।
समझ ले खुश मुखरे की उदासी को।

है ही नहीं कोई ऐसा शायद,
जो जान ले, खामियों के पीछे की खूबियों को।
जो साथ रहे हमेशा, करके नज़रंदाज उन कमियों को।

है ही नहीं कोई ऐसा शायद,
जो जान ले, इस शांत चेहरे की हलचल को।
समझ ले अल्फाजों के बयां करने से पहले, उनकी जज़्बातों को।

किरदार है, मगर कहानी नहीं है।
बातें है, मगर वाणी नहीं है।

--->saniya ❤️

Wandering mind❤️Where stories live. Discover now