प्रेम की है परिभाषा अलग,
प्रेम नहीं है पा लेना।
प्रेम तो है, प्रेमी का होकर,
ख़ुद को उसमें खो देना।प्रेम नही बदन का सौदा,
प्रेम नही जिस्मों का मिलना।
प्रेम तो है, मेरा तुझमें, तेरा मुझमें ढल जाना।प्रेम है साथ अंतर्मन का,
प्रेम है साथ हर एक कण का।
प्रेम नहीं है, बस कहते रहना,
शब्दों से मन को सुनते रहना।लफ़्ज़ों की वहाँ ज़रूरत क्या,
जब बात दिलों से हो जाए।
शब्दों का है फ़िर मोल कहाँ,
जब धड़कने सबकुछ कह जाए।प्रेम तो है विश्वास अटल।
प्रेम जो मन को कर दे अचल।
दूरी तन की कितनी भी हो,
प्रेम है वो,
जो फ़िर भी संग हो।----saniya❤️
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Wandering mind❤️
PoetryIt's not a story . I'm writing poetries here. I'm writing everything I feel, everything I think, everything I imagine. The poetries can be in hindi as well as english. I'm just sharing my thoughts , I'm sharing the corners where my mind wanders. If...